बृहस्पति की शान में तैनात 92 चांद, हाल ही में खोजे गए हैं बारह चांद

चांद से हमारा पुराना नाता है। धरती और उसका उपग्रह चंद्रमा.. किस्से कहानियों से लेकर विज्ञान की खोजपरक जानकारियों तक चंद्रमा रहस्यों से भरा है।…

'92 moon posted in the glory of Jupiter, twelve moons of Jupiter have been discovered recently

चांद से हमारा पुराना नाता है। धरती और उसका उपग्रह चंद्रमा.. किस्से कहानियों से लेकर विज्ञान की खोजपरक जानकारियों तक चंद्रमा रहस्यों से भरा है। पृथ्वी का केवल एक ही चंद्रमा है, जो अपने आप में कई राज दबाए हैं। सोचिए सौरमंडल के दूसरे ग्रहों के कितने चंद्रमा होंगे। मजेदार बात तो यह है कि बृहस्पति और शनि के बीच में तो जैसे प्रतिस्पर्धा सी है सबसे अधिक चंद्रमा वाला ग्रह बनने की। हाल ही में खगोलशास्त्रियों ने बृहस्पति के 12 नए चांद खोजे हैं। इसके बाद सबसे ज्यादा चांद होने का खिताब जो शनि ग्रह के पास था, अब वो बृहस्पति के पास है।

यूं बदला रिकाॅर्ड 

सौर मंडल में सबसे ज्यादा चांद का रिकॉर्ड अब शनि ग्रह के पास नहीं बचा है। हाल ही में सामने आया है कि बृहस्पति ग्रह के पास सबसे ज्यादा चांद हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों ने बृहस्पति ग्रह के 12 नए चांद खोजे हैं, जिसके बाद उसने सबसे ज्यादा चांद रखने वाले शनि ग्रह से उसकी बादशाहत छीन ली है। जानकारी के मुताबिक बृहस्पति ग्रह के पास पहले 80 चंद्रमा थे, 12 नए चंद्रमाओं की खोज के बाद अब उसके पास 92 चांद हैं। कहा जाता है कि सौर मंडल का सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति वैसे ही सौर मंडल का राजा है। अब उसके ताज में एक और हीरा जुड़ गया है। बृहस्पति अब सौरमंडल का सबसे ज्यादा चांद वाला प्लैनेट बन गया है। बृहस्पति ग्रह के चारों तरफ 12 नए चांद खोजे गए थे, अब उनकी पुष्टि हो चुकी है।

शनि के मिले थे बीस चंद्रमा 

इससे पूर्व करीब चार साल पहले खगोलशास्त्रियों ने सौरमंडल के प्रमुख ग्रह शनि के 20 नए चांद की खोज की थी। इसके बाद इस ग्रह के पास चंद्रमाओं की संख्या 82 हो गई थी। तब ज्यादा चंद्रमाओं के मामले में शनि ने बृहस्पति को पीछे छोड़ दिया था। खगोलशास्त्रियों के अनुसार, शनि के नए खोजे गए चंद्रमाओं में 17 शनि के घूमने की दिशा से उलटा, जबकि तीन उसकी दिशा में चक्कर लगा रहे हैं। तब सामने आया था कि शनि के चक्कर लगाने वाले सबसे छोटे चंद्रमा की परिधि 5 किमी थे। 

वहीं, बृहस्पति के सबसे छोटे चांद की परिधि 1.6 किमी थी। खगोलशास्त्रियों ने यह भी माना था कि शनि के ये छोटे-छोटे चंद्रमा किसी बड़े चंद्रमा के टूटने से बने हो सकते हैं। ये चांद शनि से इतनी दूरी पर हैं कि इन्हें एक चक्कर पूरा करने में दो से तीन साल लग जाते हैं। इन चंद्रमाओं के अध्ययन से यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि शनि किस चीज से बना है।

इनका किया गया है नामकरण भी

जहां तक बात चंद्रमा की है तो सूरज के सबसे करीब बुध और शुक्र ग्रह हैं। इनमें से किसी के पास चंद्रमा नहीं है। चूंकि बुध सूर्य और उसके गुरुत्वाकर्षण के बहुत करीब है, इसलिए वह अपने चंद्रमा को धारण करने में सक्षम नहीं होगा। शुक्र के पास चंद्रमा क्यों नहीं है यह वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य है जिसे सुलझाना बाकी है। अब आता है पृथ्वी ग्रह जिसके पास एक चंद्रमा है। मंगल के पास दो चंद्रमा है। इनके नाम फोबोस और डीमोस हैं। 

खगोलशास्त्रियों ने बताया जुपिटर यानी बृहस्पति ग्रह के पास कुल 92 चंद्रमा हो गए हैं जो इस विशाल ग्रह के चारों ओर चक्कर लगा रहे हैं। इनमें से 53 चंद्रमा के नाम हैं, बृहस्पति के चंद्रमाओं में सबसे प्रसिद्ध 10 (ईवाई-ओएच), यूरोपा और कैलिस्टो हैं। बृहस्पति के पास हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा चंद्रमा गैनीमेड भी है। ये चंद्रमा इतने बड़े हैं कि आप इन्हें केवल एक जोड़ी दूरबीन से देख सकते हैं। वहीं शनि के 82 चंद्रमा है। 33 चंद्रमाओं की पुष्टि और नामकरण किया गया है और अन्य 29 चंद्रमाओ की खोज और आधिकारिक नामकरण की पुष्टि की प्रतीक्षा है। 

शनि के चंद्रमाओं का आकार बुध ग्रह से बड़े आकार का है। शनि के चंद्रमाओं के महान नाम हैं जैसे मीमास, एन्सेलेडस और टेथिस। टाइटन नाम के इन चंद्रमाओं में से एक का अपना वातावरण भी है, जो चंद्रमा के लिए बहुत ही असामान्य है। उधर, यूरेनस के 27 चंद्रमा हैं जिनके बारे में हम जानते हैं। उनमें से कुछ आधे बर्फ से बने हैं। नेपच्यून के 14 नामित चंद्रमा हैं। नेपच्यून के चंद्रमाओं में से एक, ट्राइटन, बौने ग्रह प्लूटो जितना बड़ा है।

हमारा चांद 28 दिन में करता है पृथ्वी की परिक्रमा 

अब बात करते हैं धरती के एक मात्र चंद्रमा की। हमारे ग्रह में एक चंद्रमा है, जो सौर मंडल का पांचवा सबसे बड़ा प्राकृतिक उपग्रह है, यह हर 28 दिन में पृथ्वी की परिक्रमा करता है। चंद्रमा से जुड़ी खोज साल 1959 में शुरू हुई जब अंतरिक्ष जांच लूना 2 सोवियत संघ द्वारा शुरू की गई थी। जांच चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिससे उसकी यात्रा पर कुछ प्रयोग किए गए। चंद्रमा पर उतरने की पहली जांच (क्रैश लैंडिंग के विपरीत) लूना 9 लैंडर थी, और इस वजह से, यह लैंडिंग पर चित्रों को पृथ्वी पर वापस भेजने में सक्षम था। 

हालांकि, सबसे प्रसिद्ध चंद्र मिशन अपोलो 11 था, जब 1969 में चंद्र मॉड्यूल चंद्रमा पर उतरा और नील आर्मस्ट्रांग किसी अन्य खगोलीय पिंड की सतह पर उतरने वाले पहले मानव बन गए। आर्मस्ट्रांग सतह पर बज एल्ड्रिन के साथ थे, जबकि माइकल कोलिन्स ने चंद्रमा की परिक्रमा करने वाले कमांड मॉड्यूल को पायलट किया था। वे चंद्र सतह से 21 किलोग्राम से अधिक नमूने वापस लाए। दिसंबर 1972 में लौटने वाले मिशन के साथ, 12 अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर सतह पर चले गए हैं। चंद्रमा और धरती के बीच की दूरी धरती से देखने में भले ही कम लगती हो लेकिन असल में यह दरी बेहद ही अधिक है।

वैज्ञानिकों के अनुसार चांद और धरती की दूरी करीब 384403 किलोमीटर (238857 मील) की दूरी है, इतनी दूरी पर चंद्रमा पृथ्वी के चारों और चक्कर लगाता है। चांद और धरती के बीच का फासला हमेशा एक ही नहीं रहता। यह बदलता रहता है। चंद्रमा के वजन की बात करे तो इसका वजन करीब 81 अरब टन तक होता है। चांद देखने में भले ही गोल आकार का होता है, लेकिन इसका आकार असल में अंडाकार होता है। 

हमारे सौर मंडल में कई ग्रह पाए जाते हैं, इन सभी ग्रहों की अपने चांद मौजूद है, वहीं चांद को धरती का नेचुरल सैटेलाइट भी बताया जाता है। चांद की अपनी रोशनी नहीं होती, यह केवल सूर्य की रोशनी से चमकता है, यानी रात के अंधेरे में चांद की रोशनी इसकी अपनी नहीं होती यह केवल सूर्य की होती है। चांद केवल रात के अंधेरे में दिखाई देता है यह दिन में भी आसमान में मौजूद रहता है, लेकिन दिन में सूरज की रौशनी तेज होने के कारण यह दिखाई नहीं देता। 

धरती के चांद को जानिए 

चांद का वजन करीब 81 अरब टन है। क्षेत्रफल के मुताबिक चांद का क्षेत्रफल साउथ अफ्रीका के क्षेत्रफल जितना है। पूर्णिमा वाले चांद की रोशनी और दिन के मुकाबले 9 गुना अधिक होती है। धरती से चांद का केवल 59% हिस्सा ही दिखाई देता है। चांद का आकार धरती के मुकाबले करीब 27% होता है। चांद दिखने में भले ही गोलाकार लगता है, लेकिन यह लेकिन यह गोल नहीं है बल्कि अंडाकार होता है। 

आज तक चांद पर केवल 12 लोग ही गए हैं। हमारी धरती पर करीब 9 चांद समा सकते हैं। चांद पर जाने के बाद व्यक्ति का वजन जो धरती पर था, वह चांद पर जाने के बाद उतना नहीं रहता। चांद पर जाने वाले पहले व्यक्ति का नाम नील आर्मस्ट्राॅग था। जब सूरज और धरती के बीच में चंद्रमा आ जाता है उसको चंद्रग्रहण कहा जाता है। सूरज चांद के आकर के करीब 400 गुना बड़ा है।

1 से 3.2 किलोमीटर है इनका व्यास 

पहले बृहस्पति के पास 80 और शनि ग्रह के पास 83 चांद थे, लेकिन बारह नए चंद्रमाओं की पुष्टि के बाद बृहस्पति ग्रह के पास अब 92 चंद्रमा हो गए हैं। स्काई एंड टेलिस्कोप के मुताबिक नए चंद्रमा छोटे आकार के हैं। इनका व्यास 1 से 3.2 किलोमीटर है। 12 में से 9 चंद्रमा तो बृहस्पति ग्रह के चारों तरफ एक चक्कर लगाने में 550 दिन लगाते हैं। बृहस्पति ग्रह के सबसे दूर जो चांद हैं, वो बृहस्पति ग्रह के घुमाव की दिशा से उलटा घूमते हैं। उलटी दिशा में घूमने वाले चंद्रमाओं को रेट्रोग्रेड ऑर्बिट वाले चांद कहते हैं, यानी ये चांद पहले एस्टेरॉइड थे, जो अब बृहस्पति ग्रह की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के चलते उसकी कक्षा में आकर घूम रहे हैं। 

इन 12 चंद्रमाओं की खोज साल 2021 से 2022 के बीच वॉशिंगटन स्थित कार्नेगी इंस्टीट्यूशन फॉर साइंस के एस्ट्रोनॉमर स्कॉट शेफर्ड ने की थी। उसके बाद उन्होंने अपनी खोज के बारे में इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन माइनर प्लैनेट सेंटर को बताई। यह संस्था सौर मंडल के छोटे पत्थरों, ग्रहों आदि की निगरानी करती है। चंद्रमाओं को आधिकारिक रूप से मान्यता देने से पहले उनकी कक्षा की जांच की जाती है, यानी उनकी तब जाकर पुष्टि होती है।

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