लंदन। एवरेस्ट की पहाड़ियों में एक लाश 1999 में मिली थी, उसे पहचान लिया गया है। ये ब्रिटिश पर्वतारोही जॉर्ज मैलोरी थे। ब्रिटेन के चेशायर में जन्मे मैलोरी ब्रिटिश आर्मी में लेफ्टिनेंट थे, जब पहला विश्व युद्ध छिड़ा। बाद में वे एवरेस्ट पर चढ़ने की तैयारी में जुट गए। इस काम में उनके साथ थे एंड्रूय इर्विन।
पहली बार इस पर्वतारोही जोड़े ने बिना ऑक्सीजन चढ़ने की ठानी। यहां तक कि बर्फ के तूफानों को पार करते हुए वे लगभग 27 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंच भी गए। ये अपने-आप में एक रिकॉर्ड था। वहां सांस लेना दूभर होने पर उन्हें नीचे आना पड़ा। इसके बाद ऑक्सीजन लेकर वे ऊपर गए। उनके कई साथी काल कवलित हो गए।
आखिरी बार कब देखा गया मैलोरी!
पूरी टीम में सिर्फ मैलोरी और इर्विन बचे थे। 8 जून को वे 6वें कैंप से निकले। वे 28 हजार फीट से भी ऊपर जा चुके थे। उनके पीछे एक और पर्वतारोही नोएल ऑडेल थे। वे देख पा रहे थे कि कुछ ही देर में दोनों शिखर पर होंगे। इसके बाद ऑडेल वापस लौट गए। यही आखिरी बार था, जब मैलोरी और इर्विन को देखा गया। इसके बाद उनकी कोई खबर नहीं मिली।
75 साल बाद मिला शव
लगभग 75 साल बाद 1999 में मैलोरी की लाश एक बर्फ की दरार में मिली। वे तब लगभग 27 हजार फीट की ऊंचाई पर थे। इसके बाद फिर एक बार पहले एवरेस्ट चढ़ने वाले दावे पर बात होने लगी। बर्फ की दरार में दबा होना, यानी इससे ऊंचाई से वे गिरे होंगे। हालांकि मैलोरी ने जो कैमरा साथ रखा था, वो उनके पास नहीं था। इससे ये बात फिर रहस्य बनकर रह गई कि क्या वे एवरेस्ट की चोटी तक पहुंचने के बाद काल कवलित हुए थे।
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