अलवर के सरिस्का बाघ परियोजना क्षेत्र में बसे गांवों से आज कुछ परिवार विस्थापित किए गए। इस दौरान वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक दीप नारायण पांडे सहित कई अधिकारी मौके पर मौजूद थे। सरिस्का के डीएफओ विस्थापन जगदीश दहिया ने बताया कि आज प्रधान मुख्य वन संरक्षक डीएन पांडे सरिस्का पहुंचे और उन्होंने सरिस्का में बसे गांवों के लोगों के विस्थापन की गतिविधियों को देखा। जो परिवार आज सामान लेकर तिजारा के लिए गए उनका स्वागत किया गया। विस्थापन की प्रक्रिया आज दोपहर में हुई ग्रामीण अपने सामान को लेकर रवाना हुए।
जानकारी के मुताबिक इन परिवारों को अलवर जिले के तिजारा रूंध में बसाया गया है। उन्होंने स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दिया कि जो परिवार विस्थापित होकर जा रहे हैं उनकी शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह सुदृढ़ की जाए और व्यवस्था भी नए सिरे से की जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि विस्थापित होने वाले किसी भी परिवार को कोई परेशानी नहीं हो। इसके बाद उन्होंने देवरा चौकी पर स्थानीय स्टाफ और अधिकारियों की बैठक ली। साथ में अभी हाल में ही विस्थापित होकर सरिस्का आए टाइगर एसटी 29 के विचरण क्षेत्र को देखा। नारायाण पांडे रात्रि विश्राम सरिस्का में ही करेंगे और सुबह सरिस्का भ्रमण कर वन्यजीवों की दिनचर्या को देखेंगे।
इस अवसर पर मुख्य वन संरक्षक आर मीणा, डीएफओ सरिस्का डी पी जागावत सहित अनेक अधिकारी मौजूद थे। गौरतलब है कि सरिस्का में 2004 में एक भी बाघ नहीं बचे थे। इस मुद्दे को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया और सरिस्का में बसे गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया शुरू की। इसके तहत सरिस्का से करीब 1 दर्जन से अधिक गांवों को हटाया जाना था। इसमें आधे गांवों को हटा दिया गया है।बता दें कि ज्यादातर गांवों को सबसे पहले बहरोड़ इलाके के बड़ोद रूंध, मौजपुर रूंध सहित अनेक हिस्सों में विस्थापित किया गया था। अब तिजारा रूंध में इन ग्रामीणों को बसाया जा रहा है। जहां सरकार इन्हें एक पैकेज उपलब्ध करा रही हैं इस पैकेज में जमीन और नकदी भी शामिल है।