विश्व पर्यावरण दिवस विशेष: रामदेवरा के ब्रीडिंग सेंटर में पहली बार 27 गोडावण

विश्व में लुप्त होने के कगार पर पहुंच चुका गोडावण यानी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को संरक्षित करने को लेकर प्रदेश के मरु इलाके से उत्साहजनक परिणाम सामने आ रहे हैं।

Godavan

World Environment Day special : जयपुर। विश्व में लुप्त होने के कगार पर पहुंच चुका गोडावण यानी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को संरक्षित करने को लेकर प्रदेश के मरु इलाके से उत्साहजनक परिणाम सामने आ रहे हैं। साल 1981 में राजस्थान का राज्य पक्षी हुआ गोडावण को शर्मीले स्वभाव के राज्य पक्षी को डेजर्ट नेशनल पार्क में देखना आसान नहीं है। इसके विपरीत रामदेवरा के ब्रीडिंग सेंटर में अलग ही नजारा देखने को मिला, जहां पहली बार एक साथ 27 गोडावण दिखे। इस लुप्त प्राय राज्य पक्षी को बचाने के लिए अब तक जितने भी प्रयास व खर्चा हुआ, कोई फायदा नहीं हुआ। इनकी तादाद कम होती गई। अब इन पहली बार सफलता मिलती दिख रही है।

भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के रामदेवरा में एक स्थाई कृत्रिम हेचिंग सेंटर में वर्ष 2019 में 7, 2020 में 4, 2021 में 2, 2022 में 9 और 2023 में कृत्रिम हेचिंग सेंटर सम में गोडावण जोड़ों ने अब तक 4 चूजों को जन्म दिया। जाहिर है, यह कृत्रिम प्रजनन तकनीक सफल साबित हो रही है। वर्तमान में कुल 27 चूजों का पालन वैज्ञानिक देखरेख में हो रहा है। दो साल बाद यहां मौजूद 16 गोडावण मेटिंग के लिए तैयार हो जाएंगे। उम्मीद है कि इस सेंटर में 10 साल के अंदर 120 से अधिक गोडावण की फौज तैयार हो जाएगी

फील्ड से लाए जाते है अंडे

सेंटर में गोडावण ब्रीडिंग की तकनीक प्रजनन के वक्त फील्ड में सर्च करते हैं और वहां से अंडे उठाते हैं। 2019 में 8, 2020 में 5 और 2021 में 3 अंडे लाए गए थे। इन अंडों को इन्क्यूबेटर मशीन में रखा जाता है, यह मशीन उसी तरह काम करती है जिस तरह से मादा गोडावण अंडे के ऊपर बैठती है। 22 दिन बाद हेच (अंडे से चूजे का बाहर आना) होता है।

उसके ड्राई होने तक दो-तीन घंटे हेचर में रखा जाता है। फिर, 6-7 घंटे के लिए ब्रूडर बॉक्स में रखा जाता है। इसके बाद चिक रेयरिंग टेबल पर 20-25 दिन तक इन्हें रखने के बाद 1 महीने के लिए रेयर केज में रखा जाता है। बाद में जुवेनाइल केज में तीन महीने रखने के बाद एडल्ट टनल में रखा जाता है।

केवल राजस्थान में ही बचे हैं गोडावण

विश्व में राजस्थान अकेला प्रांत है, जो इस प्रजाति को विलुप्त होने से बचाने में जुटा हुआ है। 25 साल पहले जिन राज्यों में गोडावण पाया जाता था, वहां विलुप्त हो चुका है। गोडावण डेजर्ट ग्रास लैंड का पक्षी है। पश्चिमी राजस्थान में अब बड़े घास के मैदान खत्म होते जा रहे हैं। कई बार ये पक्षी पाकिस्तान चले जाते हैं, हालांकि वहां इनका शिकार हो जाता है।

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