जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पेपर लीक मामले में ईडी की कार्रवाई का वे स्वागत करते हैं। इस जांच में स्थानीय पुलिस भी ईडी का सहयोग करेगी, लेकिन ईडी को संजीवनी सोसाइटी जैसे मामलों में भी जांच करनी चाहिए। पुलिस मुख्यालय में बुधवार को आयोजित कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले के अलावा आदर्श, नवजीवन तथा अन्य सोसाइटियों के मामलों में हुई कार्रवाई का फीडबैक लिया। अधिकारियों ने बताया कि कई मामलों में गिरफ्तारियां की जा चुकी हैं तथा अन्य मामलों में जांच जारी है।
गहलोत ने कहा कि ठगी करने वाली ऐसी सोसाइटियों की सम्पत्तियां कुर्क होनी चाहिए तथा भविष्य में ऐसी सोसाइटियों पर अंकुश लगाने की कार्रवाई भी होनी चाहिए। गहलोत ने कहा कि राजस्थान शांति और सद्भाव का प्रतीक है। यहां का वातावरण भयमुक्त बना रहे, साम्प्रदायिक तनाव न हो, अफवाहों पर अंकुश लगे तथा कानून व्यवस्था मजबूत बनी रहे और इसके लिए राजस्थान पुलिस निरंतर कार्य कर रही है।
राजस्थान पुलिस अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा सजग एवं संवेदनशील है। बैठक में बताया गया कि साम्प्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया पर विशेष ध्यान दिया गया है। अप्रैल 2023 तक 47 प्रकरण दर्ज कर 72 लोगों की गिरफ्तारी की गई। इस कार्रवाई में 1338 अपराधियों की गिरफ्तारी और 1016 को पाबंद किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने हिंसात्मक कंटेंट और अपराधियों को फॉलो करने वालों पर विशेष निगरानी रखने के निर्देश दिए।
साइबर अपराध पर कसी जा रही नकेल
बैठक में बताया गया कि साइबर अपराधियों पर प्रभावी तरीके से नकेल कसी जा रही है। राज्य में कुल 34 साइबर थाने हैं। राज्य में साइबर अपराध की इस वर्ष कु ल 16 हजार 549 शिकायतें दर्ज हुई, जिनमें 518 एफआईआर कर 1.53 करोड़ रुपए बरामद किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने साइबर अपराध एवं ऑनलाइन धोखाधड़ी से संबंधित अपराधों की रोकथाम के लिए अधिक से अधिक जन-जागृति अभियान चलाए जाने के निर्देश दिए। बैठक में बताया गया कि पिछले वर्ष की तुलना में आईपीसी के अपराधों में कमी आई है।
अनुसंधान की औसत अवधि घटी
सीएम गहलोत ने कहा कि अवैध हथियार, मादक पदार्थ जैसे संगठित अपराधों के नियंत्रण के लिए सघन अभियान चलाकर लिप्त अपराधियों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। निर्बाध पंजीकरण व्यवस्था से एफआईआर की संख्या बढ़ी है, महिलाओं, कमजोर वर्ग के परिवादियों को न्याय भी मिला है। प्रदेश में अनुसंधान के समय में भी प्रभावी कमी आई है। 2020 में औसत अनुसंधान अवधि जहां 115 दिन थी, वहीं मई, 2023 में यह अवधि घटकर 52 दिन हो गई है। उन्होंने बैठक में जयपुर तथा अन्य शहरों में भूमि पर अनधिकृत कब्जों से जुड़ी समस्याओं के निराकरण के लिए अधिकारियों को फॉलोअप कमेटी बनाकर उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए।