आज के समय में भविष्य में कामियाब बानने की होड़ कुछ ज्यादा ही बढ़ गी है। माता-पिता अपने बच्चों को सबसे अच्छा बनाने के लिए हर चीज करने के लिए तैयार रहते हैं। जहां पहले के समय में 4 से 5 किताबें हर क्लास में बच्चों के लिए काफी होती थीं। वहीं अब छोटे-छोटे बच्चों के लिए कई तरह की किताबे आने लगी हैं साथ ही उन किताबों में बच्चे इतना घुस चुके हैं कि, बच्चों में तनाव बढ़ने लगा है। इसी के साथ मोबाइल का ट्रेंड भी बच्चों को धीरे-धीरे खा रहा है। इसके अलावा बच्चों के आस-पास का माहौल भी माईने रखता है। आपकी डांट और पढ़ाई का प्रेशर बच्चें सहन नहीं कर पाते और डिप्रेशन में चले जाते हैं। कही आपका बच्चा भी तो Depression में नहीं जा रहा इस बात को जानने के लिए हम आपको कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं।
चुपचाप बैठ रहा है बच्चा
यदि आपका बच्चा अकेला बैठना पसंद करता है या काफी चुपचाप रहने लगा या लगी है। तो उससे बात करने की कोशिश करें। साथ ही माता पिता को इस कंडीशन में सावधान रहने की जरूरत है।
कहीं चिड़चिड़ा तो नहीं हो रहा बच्चा
अगर बच्चें छोटी-छोटी बात पर चिड़ रहे हैं या झगड़ा कर रहे हैं तो पेरेंट्स को इस बात पर ध्यान देना चाहिए। माता पिता को तुरंत बच्चे की काउंसलिंग करनी चाहिए. जरूरत है तो मनोचिकित्सक से इलाज कराना चाहिए।
अकेले रहा पड़ सकता है भारी
गुपचुप रहने के साथ ही वो अकेला रहने लगे. किसी से बात करना पसंद न करें। कमरे में अकेले अकेले खुद से बात करने लगे तो यह स्थिति ठीक नहीं है। बच्चा मानसिक तौर पर अधिक बीमार हो गया है। उसका कॉउंसलिंग कराकर तुरंत इलाज शुरू करा देना चाहिए।
खाना खाने का मन न करना
बच्चे अगर खाना न खा रहे हो या थोड़ा थोड़ा खाकर छोड़ रहे हो इसका मतलब है की बच्चें मन से परेशान हैं। खाते समय उन्हें ध्यान रहे कितना खाना है या कहीं ख्यालों में खोने लगे ये Depression के शुरुआती लक्षण हैं। इसलिए बच्चें को जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाए।