वाशिंगटन। नासा ने हाल ही में ऐसे रॉकेट इंजन की सफल टेस्टिंग की है, जो परमाणु ऊर्जा से चलता है। इस इंजन से चलने वाला रॉकेट मात्र 45 से 50 दिनों में किसी भी यान या इंसान को मंगल ग्रह तक पहुंचा देगा, जबकि अभी कम से कम 10 से 11 महीने लगते हैं। इंसान अभी तक सिर्फ चंद्रमा तक पहुंचा है, लेकिन किसी दूसरे ग्रह पर उसके कदम नहीं पड़े हैं। किसी भी दूसरे ग्रह पर पहुंचने के लिए सिर्फ रॉकेट ही नहीं चाहिए। ऐसा ईंधन भी चाहिए जो लंबे समय तक चल सके। इसलिए परमाणु ईंधन से चलने वाले रॉकेट ऐसे मिशन में काम आएंगे।
यह रॉकेट की दुनिया का चमत्कार होगा
नासा ने जो प्रोग्राम शुरू किया है। नाम है नासा इनोवेटिव एडवांस्ड कॉन्सेप्ट्स। पहले फेज में न्यूक्लियर रॉकेट बनाया जा रहा है। इसी रॉकेट में लगने वाले परमाणु इंजन का परीक्षण हाल ही में किया गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा में हाइपरसोनिक्स प्रोग्राम एरिया के प्रमुख प्रो. रयान गोसे कहते हैं कि यह रॉकेट अंतरिक्ष मिशन की दुनिया में चमत्कार होगा। इससे आप अंतरिक्ष की लंबी दूरियों को कम से कम समय में पूरा कर पाएंगे।
68 साल बाद यह प्रयोग
अमेरिकी एयरफोर्स और एटॉमिक एनर्जी कमीशन ने 1955 में पहली बार प्रोजेक्ट रोवर के समय इस तरह के प्रोपल्शन सिस्टम को बनाने का प्रयास किया था। यह जब यह प्रोजेक्ट 1959 में पहुंचा तो इसे न्यूक्लियर इंजन फॉर रॉकेट व्हीकल एप्लीकेशन में बदल गया। यह एक सॉलिड कोर न्यूक्लियर रिएक्टर था। 1973 में अपोलो मिशनों को खत्म कर दिया गया। नासा की फंडिंग कम कर दी गई थी। न्यूक्लियर रॉकेट इंजन का प्रोजेक्ट बंद कर दिया गया था।
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