ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक के सामने कम नहीं हैं मुश्किलें, इन चुनौतियों से पार पाना है बेहद कठिन

भारतीय मूल भारतीय मूल के ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को आज किंग चार्ल्स तृतीय ने शपथ दिलाई। सुनक ने आज बर्मिंघम पैलेस में पहले किंग…

ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक के सामने कम नहीं हैं मुश्किलें, इन चुनौतियों से पार पाना है बेहद कठिन

भारतीय मूल भारतीय मूल के ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को आज किंग चार्ल्स तृतीय ने शपथ दिलाई। सुनक ने आज बर्मिंघम पैलेस में पहले किंग चार्ल्स से मुलाकात की इसके बाद शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन हुआ। शपथ लेने के साथ ही ऋषि सुनक पिछले 210 साल में ब्रिटेन के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बन गए हैं। ऋषि सुनक ने प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने पहले संबोधन में कहा कि वे अपनी गलतियों को सुधारने के लिए प्रधानमंत्री चुने गए हैं। सुनक ने कहा कि मैं वादा करता हूं की पूरी सच्चाई के साथ वह विनम्रता के साथ देश की जनता की सेवा करूंगा।

सुनक ने कहा कि हम एक साथ मिलकर असंभव सी दिखने वाली चीजों को भी हासिल कर सकते हैं। हम एक उज्जवल भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। सुनक ने कहा कि ब्रिटेन एक महान देश है लेकिन यह देश इस समय एक गंभीर आर्थिक चुनौती का सामना कर रहा है। आगे और भी मुश्किलें आएंगी उसके लिए हमें कठिन फैसले भी लेने होंगे लेकिन इनसे हमें डरना नहीं है। इनका डटकर सामना करना है और हर चुनौती से पार पाना है।

अर्थव्यवस्था को पटरी पर प्राथमिकता

ऋषि सुनक में ऐसे समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का पद संभाला है। जब ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था कई मोर्चों पर संकट का सामना कर रही है। इनमें विकास की धीमी गति, रूस यूक्रेन युद्ध के कारण ईंधन की समस्या, आसमान छूती कीमतें, बजट में गिरावट यह सारे मुद्दे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को सुलझाने हैं। जो कि कहीं से भी आसान नहीं दिखाई देते। क्योंकि इन्हीं मुद्दों पर पूर्व प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने भी अपने पद से मात्र 45 दिनों में ही इस्तीफा दे दिया था। ऋषि सुनक के सामने सबसे बड़ी चुनौती है वैश्विक स्तर पर वित्तीय विश्वास को फिर से हासिल करना। इसके लिए ऋषि सुनक को टैक्स में बढ़ोतरी खर्च में कटौती जैसे कदम भी उठाने पड़ सकते हैं।

अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का कहना है कि जो स्थिति इस समय ब्रिटेन के सामने हैं और उनसे निपटने के लिए जो कदम उठाए जाने हैं। उनके पक्ष में खुद वहां के नेता और जनता भी नहीं है। क्योंकि टैक्स में बढ़ोतरी और खर्च में कटौती कोई भी नहीं चाहता है। इसलिए अगर ऋषि सुनक में इस तरह के कदम उठाए तो उन्हें भी राजनीतिक दुष्परिणाम भुगतने जैसे हालातों का सामना करना पड़ सकता है। ऋषि सुनक के सामने देश के आंतरिक मामलों के साथ ही विदेशी मामले में भी अच्छी खासी चुनौती है। इन सबके बीच यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री ऋषि सुनक रूस यूक्रेन युद्ध को लेकर ब्रिटेन की कूटनीति में क्या बदलाव लाएंगे। क्या ब्रिटेन यूक्रेन का अभी भी समर्थन जारी रखेगा। इसके अलावा ब्रेक्जिट के दौरान आइसलैंड जैसे देशों की सीमा को लेकर के जो यूरोपीय संघ के साथ विवाद है। उसे भी निपटाना ऋषि सुनक के लिए एक बड़ी चुनौती है।

आसमान छूती महंगाई से लेकर पार्टी में बिखराव बड़ी समस्या

सुनक के सामने चुनौतियों का अंबार कम नहीं है। इनमें कई मोर्चों पर मुसीबतों का सामना को करना पड़ सकता है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि ब्रिटेन में डिमांड एंड सप्लाई चैन बिल्कुल ध्वस्त हो चुकी है। मांग गिरने से आने वाले समय में बेरोजगारी बढ़ सकती है। इस बढ़ती हुई बेरोजगारी पर भी पार पाना सुनक के लिए एक बड़ी चुनौती बनेगी। इसके अलावा यह दौर वैश्विक मंदी का है। इसलिए ब्रिटेन में महंगाई भी अपने चरम पर है। एक सर्वे के मुताबिक ब्रिटेन में साल 2023 तक महंगाई दर अपने उच्चतम स्तर पर होगी जिस से भी निपटना सुनक के लिए आसान नहीं होगा।

किसी भी नीति नियंता के लिए मुश्किल हैं यह हालात

ब्रिटेन में मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखना भी एक बड़ी चुनौती है। क्योंकि इस समय ब्रिटेन में खुदरा महंगाई दर डबल डिजिट में है। इस समय वहां पर कुछ लोगों के लिए जीवन यापन तक भी मुश्किल लग रहा है। रुकी हुई अर्थव्यवस्था कम राजस्व और उच्चतम ऋण की ओर जा रही है। अब अगर ऋषि सुनक मुद्रास्फीति को कंट्रोल में करने के लिए अपने खर्चों पर लगाम लगाते हैं तो फिर यह ब्रिटेन के आर्थिक विकास को और भी नीचे ले जा सकते हैं। ब्रिटेन की इस स्थिति के लिए आई एफ एस की रिपोर्ट ने भी कहा है कि ब्रिटेन की यह हालात किसी भी ब्रिटिश पॉलिसी मेकर के लिए सबसे ज्यादा परेशानी में डालने वाले हैं।

क्या ब्रेक्जिट का विरोध करने वालों को साथ ला पाएंगे सुनक

ऋषि सुनक के सामने एक चुनौती यह भी है कि वे ब्रेक्जिट का विरोध करने वाले लोगों को भी साथ कर चलें। क्योंकि ऋषि सुनक ब्रेक्जिट के समर्थक हैं। लेकिन उन्हीं की पार्टी के कुछ लोग यूरोपीय संघ में फिर से शामिल होना चाहते हैं। ब्रेक्जिट के अलावा ऐसे तमाम मुद्दे हैं जो ऋषि सुनक की पार्टी को दो भागों में बांट रहे हैं। ऐसे में अपनी ही पार्टी के नेताओं को एक करना भी ऋषि सुनक के लिए एक गंभीर और बड़ी चुनौती है।

बता दें कि इन सभी मुद्दों पर ऋषि सुनक में बयान दिए हैं बीते 23 अक्टूबर को सुनक ने कहा था कि उनकी पहली प्राथमिकता देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना, पार्टी को एकजुट करना और देश की जनता के लिए काम करना है। तो वही आयरलैंड सीमा मामले में सुनक ने कहा था कि वे यूरोपीय यूनियन के साथ बातचीत करेंगे। ब्रेक्जिट सौदे को कानून के तहत आगे बढ़ाएंगे साथ ही इस सौदे में जितनी भी खामियां हैं उनको भरने में मदद करेंगे। इसके अलावा ऋषि सुनक ने बीते अगस्त में ब्रेक्जिट को सेफ रखने का भी वादा किया था। उन्होंने यूरोपियन यूनियन के ब्रेक्जिट नियमों की समीक्षा को लेकर एक नई यूनिट बनाई जो अभी भी कार्य कर रही है।

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