जयपुर। वरिष्ठ अध्यापक भर्ती के पेपर लीक मामले (RPSC Paper Leak) में RPSC मेंबर बाबूलाल कटारा पुलिस की गिरफ्त में चल रहे हैं लेकिन अब कुछ संकेत ऐसे मिले हैं कि बाबूलाल कटारा 14 मई को होने वाली EO RO की परीक्षा की जिम्मेदारी भी उठाने वाला था। जिससे अब ये जांच का विषय बन गया है कि क्या बाबूलाल कटारा ने इन भर्तियों के परीक्षा पेपर को भी बेचा है।
राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष उपेन यादव ने कहा कि हम यह कैसे मान लें कि बाबूलाल कटारा ने EO RO भर्ती परीक्षा पेपर को नहीं बेचा होगा। जब वह वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा के पेपर को बेच सकता है, इतना बड़ा अपराध कर सकता है तो क्या वह EO RO के पेपर नहीं बेचेगा। इस मामले की भी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और राज्य सरकार को तुरंत बाबू लाल कटारा को बर्खास्त करना चाहिए।
इस्तीफा दें RPSC अध्यक्ष
इससे पहले उपेन यादव ने RPSC के अध्यक्ष के इस्तीफा देने की भी मांग उठाई थी। उन्होंने कहा था कि पेपर लीक मामले में RPSC की सीधी संलिप्तता पाई गई है। इसलिए नैतिकता के आधार पर आरपीएससी अध्यक्ष को इस्तीफा दे देना चाहिए। सरकार को राजनीतिक नियुक्ति पर रोक लगाकर और नियम संशोधन करते हुए यूपीएससी की तर्ज पर ही अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करनी चाहिए।
उपेन ने कहा था कि आईएएस, आईआरएस अधिकारियों की नियुक्ति होनी चाहिए। आरपीएससी अध्यक्ष और सभी सदस्यों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
बाबूलाल कटारा अपने घर लेकर गए थे प्रशनपत्र
बता दें कि वरिष्ठ अध्यापक भर्ती मामले में बाबूलाल कटारा पर आरोप है कि पेपर लीक की शुरुआत बाबू लाल कटारा ने ही की। क्योंकि प्रश्न पत्रों का कामकाज बाबूलाल कटारा को दिया गया था। इसके साथ ही वह क्वेश्चन पेपर के छह सेट अपने घर भी लेकर गए थे। उसने अपने भांजे विजय कटारा से हर सेट के सवाल लिखवा कर बेचे थे। बाबूलाल कटारा को अभी पद से निलंबित नहीं किया है इसकी कार्यवाही चल रही है।
अध्यक्ष आयोग के सदस्यों से कराने लगे के सीक्रेट काम
RPSC में पिछले कुछ समय से आयोग अध्यक्ष क्वेश्चन पेपर संबंधित सीक्रेट काम भी अपने अलावा आयोग के सदस्यों से कराने लगे थे। इसी के तहत बाबूलाल कटारा को भी प्रश्नपत्र से संबंधित काम सौंपे गए थे।
दरअसल बाबू लाल कटारा 15 अक्टूबर 2020 से RPSC के मेंबर हैं। इनका कार्यकाल 14 अक्टूबर 2026 तक है। जानकारी है कि आयोग के अध्यक्ष ने जिन अलग-अलग सदस्यों को अलग-अलग परीक्षाओं के काम दिए थे, उनमें से वरिष्ठ मेंबर जो आयोग में नहीं है, उनको भी इसकी जिम्मेदारी दी गई थी। इसलिए इस बात पर गौर किया जा सकता है कि इस समय जो आयोग के अध्यक्ष हैं, उन्होंने भी अलग-अलग परीक्षाओं के लिए अलग-अलग सदस्यों को पेपरों की जिम्मेदारी दी है।