Chandrayaan-3 Mission: चंद्रयान-3 को लेकर देशभर में उत्साह का माहौल है। जहां पर कोई देश नहीं जा सके, आज वहां पर चंद्रयान-3 पहुंचेगा। देश के लिए यह गौरव की बात होगी। चंद्रयान-3 मिशन के पीछे एक बहुत बड़ी टीम ने काम किया है। इस टीम में सुनीता खोखर भी शामिल है। सुनीता खोखर राजस्थान के नागौर जिले के डीडवाना क्षेत्र की रहने वाली हैं।
सुनीता खोखर के पिता का नाम मोहनराम और माता का नाम मुली देवी है। सुनीता का जन्म 20 जुलाई 1993 को डाकीपुरा गांव में हुआ था। सुनीता के माता-पिता एक साधारण परिवार से हैं और दोनों किसान हैं और गांव में ही खेती का काम करते हैं।
सरकारी स्कूल में पढ़ी सपना
सुनीता ने कक्षा 1 से 8वीं तक की शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल की। सुनीता खोखर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह अहमदाबाद में इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर में कार्यरत हैं। सुनीता ने बताया कि चांद पर उतरने के बाद सारी जानकारी सेंसर के जरिए ही मिलती है, सेंसर लैंडर में लगा है, हमने उसमें काम किया है।
असफलता के बाद लिखी सफलता की कहानी
सुनीता खोखर ने बताया कि इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद उन्होंने इसरो में जाने की तैयारी की। पहली बार कोशिश करने पर सफलता हाथ नहीं लगी। कड़ी मेहनत के बाद दूसरी बार वह इसरो में जाने में सफल रहीं और 2 मई 2017 को अहमदाबाद स्पेस एप्लीकेशन सेंटर में शामिल हो गईं।
सुनिता ने बताया कि मिशन में हमारा काम सेंसर बनाना रहा है, सेंसर का मुख्य काम स्पीड बताना है और चंद्रमा पर चंद्रयान की ऊंचाई। इसकी सभी गतिविधियों को लेकर प्रोग्राम बनाये जाते हैं, यह सेंसर के माध्यम से ही बनाये जाते हैं और उसी से सारी जानकारी प्राप्त होती है। हमने इसमें इस्तेमाल किए गए सेंसर पर काम किया है।
पीएम मोदी ने किया था महिला वैज्ञानिक जिक्र
बता दें कि 77वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के महत्व पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला वैज्ञानिक का चंद्रयान मिशन में सहभागिता पर जोर दिया था।
पीएम मोदी ने कहा था कि “एक चीज जो देश को आगे ले जाएगी, वह है महिला नेतृत्व वाला विकास। आज हम गर्व से कह सकते हैं कि भारत में नागरिक उड्डयन में सबसे ज्यादा पायलट हैं। महिला वैज्ञानिक चंद्रयान मिशन का नेतृत्व कर रही हैं।”