जयपुर। जयपुर के नामी मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. शिव गौतम की पत्नी राजश्री ने नवलगढ़ विधायक राजकुमार शर्मा पर उनकी निजी प्रॉपर्टी पर कब्जा करने के आरोप लगाते हुए गांधीनगर थाने में मामला दर्ज करवाया है। इस पर विधायक ने कहा कि उन पर डॉक्टर दंपती की ओर से लगाए जा रहे सभी आरोप गलत हैं। वहीं डॉ. शिव गौतम की पत्नी राजश्री ने कहा है कि जिस प्रॉपर्टी को राजकुमार ट्रस्ट की संपत्ति बता रहे हैं, वह उनकी निजी संपत्ति है। वहां उनके भाई द्विजेश शर्मा कई सालों से रह रहे थे। डॉक्टर दंपती व विधायक दोनों ने ही बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना पक्ष रखा। हालांकि मामले की जांच पुलिस कर रही है।
गौतम दंपती के आरोप निराधार: विधायक
विधायक राजकुमार शर्मा ने बापू नगर स्थित ट्रस्ट कार्यालय में प्रेसवार्ता कर अपनी बात रखी। विधायक शर्मा ने कहा कि गौतम दंपती के आरोप निराधार हैं। बापू नगर स्थित प्रॉपर्टी पर लगभग 60 वर्ष से आचार्य विद्यादेवी, आचार्य हरि, आचार्य द्विजेश का आधिपत्य रहा है। यह भूमि हरि व द्विजेश ने सन 1982 में खरीदी थी। इसकी रजिस्ट्री में लिखा है कि इस भवन पर हरि व द्विजेश किराएदार की हैसियत से रह रहे हैं। इस रजिस्ट्री को करवाने की जिम्मेदारी डॉ. शिव गौतम की थी। डॉ. गौतम ने जानबूझकर रजिस्ट्री अपने नाम करवा ली।
आचार्य द्विजेश शर्मा ने मरने से पहले मेरे बेटे युवराज को लिखित में सम्पत्ति का उत्तराधिकारी बनाया। अभी युवराज बालिग नहीं है तो मैं इस ट्रस्ट को संभाल रहा हूं। द्विजेश ने अंतिम समय में स्वेच्छा से विद्यां कल्याणम या सत्यर्षि आचार्य हरि वैदिक शोध संस्थान के लिए इस भवन को दिया था। विधायक ने आरोप लगाए कि अभी जिस भवन में डॉ. शिव गौतम रह रहे हैं, वह भी आचार्य के नाम है और झिलोय आमेर में 13 बीघा जमीन हरि के नाम है, उस पर गौतम परिवार के लोग अपना अधिकार जताने का प्रयास कर रहे हैं। द्विजेश को राजश्री अपना भाई बता रही हैं, जो भी गलत है।
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मकान हमारी निजी संपत्ति: डॉक्टर दंपती
डॉ. शिव गौतम व उनकी पत्नी राजश्री ने भी सिविल लाइंस स्थित अपने निवास पर प्रेसवार्ता कर अपनी बात रखी। राजश्री गौतम ने खुद को दिवंगत आचार्य द्विजेश शर्मा की बहन होने का दावा करते हुए विधायक शर्मा सहित अन्य लोगों पर मकान पर कब्जा करने का आरोप लगाया। डॉ. शिव गौतम व राज्यश्री ने मकान की रजिस्ट्री दिखाते हुए कहा कि वह उनकी निजी संपत्ति है। वहां उनके भाई द्विजेश शर्मा कई सालों से रह रहे थे।
बुजुर्ग होने और बीमार होने के कारण उनके भाई की सोचने समझने की शक्ति और नजर भी कमजोर हो गई थी, जिसका फायदा उठाकर विधायक और अन्य लोगों ने कब्जा कर लिया। साथ ही आरोपियों ने खुद को परिजन बताकर शोक संदेश प्रसारित किया। विधायक के प्रभाव के चलते थाने ने 50 दिन तक मामला दर्ज नहीं किया। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर यह मामला दर्ज हुआ। प्रॉपर्टी से जुड़े सभी दस्तावेज उनके पास हैं। राजकुमार झूठ बोल रहे हैं और यह ट्रस्ट कब व कैसे बना इसकी किसी को जानकारी नहीं हैं।