Paper Leak Case : जयपुर। सेकंड ग्रेड पेपर लीक मामले में जांच की आंच अब आरपीएससी तक जा पहुंची है। आरपीएससी सेकंड ग्रेड पेपर लीक मामले में मंगलवार को जयपुर एसओजी को बड़ी सफलता मिली है। एसओजी की टीम ने आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि पेपर बेचने वाले मास्टरमाइंड शेर सिंह मीणा ने बाबूलाल कटारा से ही पेपर लिया था।
इस मामले में एसओजी की टीम ने राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा को अजमेर स्थित उसके घर से गिरफ्तार किया। वहीं, ड्राइवर गोपाल सिंह को भी अजमेर में उसके आवास से दस्तयाब किया। एसओजी ने बाबूलाल कटारा के भांजे अंकित कटारा को डूंगरपुर जिले के बगदारी रामपुर से गिरफ्तार किया। एसओजी की टीम तीनों आरोपियों से गहनता से पूछताछ में जुटी हुई है। एसओजी की टीम अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आरोपियों ने कैसे परीक्षा का पेपर मास्टरमाइंड शेरसिंह मीणा तक पहुंचाया।
शेर सिंह मीणा ने पूछताछ में किया था खुलासा
हाल ही में एसओजी ने ओडिशा से आरोपी शेरसिंह मीणा को गिरफ्तार किया था। वह भवानीपटनम से 40 किलोमीटर दूर एक गांव में अपना हुलिया बदलकर फरारी काट रहा था। पूछताछ में जयपुर के चौमू निवासी अनिल उर्फ शेर सिंह मीणा ने कबूल किया था कि उसने आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा से पेपर लिया था। इसके बाद उसने सुरेश ढाका और भूपेंद्र सारण को 1 करोड़ रुपए में पेपर बेचा था।
फिर सुरेश ढाका ने अपने साले सुरेश विश्नोई के सहयोग से अभ्यर्थियों को 5-5 लाख रुपए में बेचा था। पेपर लीक की जांच आरपीएससी तक पहुंचने के बाद अब एसओजी ने आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा सहित भांजे अंकित और एक ड्राइवर को गिरफ्तार किया है। अब एसओजी यह पता लगाने में जुटी हुई है कि आखिर आरोपियों ने शेर सिंह तक पेपर कैसे पहुंचाया था।
कौन है बाबूलाल कटारा?
डूंगरपुर जिले के बाबूलाल कटारा ने 15 अक्टूबर 2020 में आरपीएससी के सदस्य का कार्यभार संभाला था। बाबूलाल कटारा ने राजस्थान लोक सेवा आयोग के सांख्यिकी अधिकारी, आयोजना विभाग के पद चयनित हुए थे। इसके बाद उसने जिला सांख्यिकी अधिकारी डूंगरपुर और बाड़मेर में काम किया था। साल 1994 से 2005 तक उन्होंने भीम, राजसमंद, खैरवाडा, डूंगरपुर, सागवाडा, सुमेरपुर और उदयपुर में काम किया। साल 2013 में सचिवालय में आयोजना विभाग संयुक्त निदेशक रहा।
इसके बाद निदेशक सांख्यिकी के पद पर पदोन्नति के बाद उदयपुर आदिम जाति शोध संस्थान निदेशक के पद पर भी रहा। इसके बाद कटारा का चयन आरपीएससी के सदस्य के रूप में हुआ था। खास बात ये है कि इससे पहले ही शेरसिंह ने कटारा से दोस्ती कर ली थी, क्योंकि उसके पता था कि कटारा आरपीएससी सदस्य बन सकते है। लेकिन, जब कटारा आरपीएससी सदस्य बन गया तो शेरसिंह ने संपर्क बढ़ा दिया। इसके बाद शेरसिंह ने कटारा से मिलकर पेपर लीक का प्लान बनाया।