जिंदगी के सफर में कौन सा मोड़ कब आ जाए इस बात का शायद किसी को अंदाजा नहीं हो सकता। जो व्यक्ति 25 साल पहले मानसिक स्थिति खराब होने पर अपने घर से लापता हो गया था और जिसे मरा हुआ समझकर घरवाले ब्रह्मभोज के अलावा अंतिम संस्कार की सभी रस्म क्रिया पूरी कर चुके थे। उसकी पत्नी विधवा की तरह जीवन व्यतीत कर रही थी और उस व्यक्ति के अचानक जिंदा होने की खबर जब घर वालों को खबर मिली तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा।
ओडिशा के कटक के रहने वाले हैं स्वपनेश्वर
दरअसल 25 साल पहले ओडिशा के कटक से करीब 25 साल पहले स्वपनेश्वर लापता हो गए थे। कई दिनों बाद जब वे घर वापस नहीं लौटे तो घर वालों ने उन्हें मृत मान लिया था औऱ ब्रह्मभोज सहित अन्य रस्म क्रियाएं अदा कर डाली। लेकिन जब परिवार वालों को पता लगा कि स्वप्नेश्वर दास जिंदा है और भरतपुर के अपना घर आश्रम में रह रहे हैं तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना न रहा।
अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉक्टर बीएम भारद्वाज ने बताया कि उड़ीसा के कटक के रहने वाले 64 वर्षीय स्वप्नेश्वर दास लगभग 25 साल पहले घर से अचानक लापता हुए थे। जब स्वप्नेश्वर लापता हुए थे तब उसके बेटे संजय कुमार दास की उम्र सिर्फ 14 साल थी और आज उसका पुत्र शादीशुदा है और उसके बच्चे भी हैं। स्वप्नेश्वर दास के पुत्र संजय कुमार दास ने बताया कि जब वह कक्षा नवीं में पढ़ता था तब उसके पिता घर से लापता हो गए थे काफी तलाश के बाद भी उनका कोई पता नहीं लग पाया था। पुत्र संजय दास ने बताया कि उनकी मां को उम्मीद थी कि उनके पति जिंदा है इसलिए उन्होंने 12 साल की जगह 24 साल तक अपने पति का इंतजार किया लेकिन जब कोई सुराग नहीं मिला तब जाकर परिजनों के दबाव के बाद किसी व्यक्ति के मरने के बाद जो रस्म क्रियाएं होती है वो निभाई गई।
भरतपुर का अपना घर आश्रम बना बिछुड़ों का मिलाने का जरिया
अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉक्टर बीएम भारद्वाज ने बताया कि स्वप्नेश्वर दास को भरतपुर आश्रम में तमिलनाडु के आश्रम से लाकर भर्ती कराया था, आश्रम में स्वप्नेश्वरदास का इलाज चला और धीरे-धीरे वे मानसिक रूप से स्वस्थ होने लगे तब उन्हें उन्होंने अपने घर का पता बताया।
अपना घर आश्रम प्रबंधन ने कटक पुलिस से संपर्क किया और पुलिस के जरिए स्वप्नेश्वरदास के परिजनों को उनके जिंदा होने की सूचना दी और वीडियो कॉल से बात भी कराई जिस पर परिजनों ने स्वप्नेश्वर दास को पहचान लिया।
बता दें कि भरतपुर के अपना घर आश्रम में गरीब असहाय लोगों की सेवा भगवान की तरह तो की ही जाती है बल्कि बिछुड़ों को अपनों से मिलाने का काम भी आश्रम करता रहता है। अपना घर आश्रम अब तक लगभग 25 हजार से अधिक लोगों को अपने परिजनों से मिला चुका है।