Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनावों का समां बंधने के साथ ही दिल्ली से नेताओं का आवागमन तेज हो चला है जहां कांग्रेसी खेमे से चुनावी रण में प्रियंका गांधी ने खूंटा गाड़ रखा है. प्रियंका लगातार राजस्थान का चुनावी दौरा कर रही है जहां अब वह 25 अक्टूबर को अरड़ावता (झुंझुनूं) में पूर्व केंद्रीय मंत्री शीशराम ओला की प्रतिमा का अनावरण कर एक जनसभा को संबोधित करेंगी.
मालूम हो कि इससे पहले प्रियंका 10 सितंबर को टोंक और 20 अक्टूबर को दौसा जिले का दौरा कर चुकी हैं. माना जा रहा है कि इस बार चुनावों में कांग्रेस हाईकमान की ओर से मोर्चा प्रियंका गांधी ने संभाल रखा है.
हालांकि विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस ने अभी स्टार प्रचारकों के नाम जारी नहीं किए हैं लेकिन प्रियंका गांधी के दौरों को देखकर लग रहा है कि इस बार कांग्रेस का चुनावी चेहरा प्रियंका ही रहने वाली है. इससे पहले हिमाचल और कर्नाटक में भी प्रियंका का चेहरा पार्टी ने आगे किया था.
दरअसल प्रियंका गांधी की मौजदगी को लेकर जानकारों का कहना है कि उनमें लोगों को इंदिरा गांधी की झलक दिखाई देती है और सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच पड़ी दरारों में प्रियंका गांधी ने अहम पुल की भूमिका निभाई है. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के नतीजे भी प्रियंका गांधी को आगे रखने की वजह बनते हैं.
लोगों से सीधा कनेक्ट करती है प्रियंका
कांग्रेस से जुड़े नेताओं का मानना है कि प्रियंका गांधी की सभाओं में लोगों का अलग ही जोश देखने को मिलता है और वह अपने भाषणों में सीधा लोगों से कनेक्ट करती है. बताया जा रहा है कि प्रदेश की कई सीटों से प्रियंका की सभा के लिए डिमांड हो रही है ऐसे में संभवत: चुनावों से पहले राजस्थान में जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, अजमेर, बीकानेर जैसे कई इलाकों में प्रियंका जनसभा कर सकती हैं.
वहीं बीते दिनों कांग्रेस को हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में जीत मिली जिसमें भी प्रियंका गांधी के चेहरे को कांग्रेस ने आगे रखा था ऐसे में अब राजस्थान को लेकर भी प्रियंका अहम भूमिका में है. हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के चुनावों में कांग्रेस के प्रचार की अहम जिम्मेदारी प्रियंका ने संभाली थी जिसके बाद अब पार्टी मध्यप्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में लगातार दौरे कर रही है.
पायलट फैक्टर के लिए बढ़ी डिमांड
गौरतलब है कि साल 2020 में हुई सचिन पायलट खेमे की बगावत के दौरान उस दौरान मचे सियासी घमासान को प्रियंका गांधी ने ही मध्यस्थता करवाई थी. ऐसे में उस दौरान पनपी खींचतान को प्रियंका गांधी ने अपने सियासी कौशल से ही शांत किया था. वहीं इसके बाद लगातार प्रियंका राजस्थान के हालातों को लेकर सक्रिय बनी रही.