सीएम अशोक गहलोत ने आज एक टीवी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में राजस्थान की राजनीति पर खुलकर बात की। इसमें उन्होंने 25 सितंबर की सीएलपी बैठक से लेकर सचिन पायलट के सीएम बनाने के कथित आलाकमान के आदेश पर अपनी बात रखी। अशोक गहलोत ने साफ-साफ शब्दों में कह दिया कि सचिन पायलट गद्दार हैं उन्हें कोई कैसे सीएम बना सकता है। इसका तो सवाल ही पैदा नहीं होता। सचिन पायलट गद्दारी कर चुके हैं उन्हें हमारे 102 विधायकों ने झेला है। ऐसा तो कोई नहीं कर सकता, कि जिसने इतनी गद्दारी वाला काम किया हो उसे कोई कैसे स्वीकार किया जा सकता है। आज तक ऐसा इतिहास में नहीं हुआ कि किसी ने प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए अपनी ही सरकार गिराने का काम किया हो। तो फिर कोई कैसे उन्हें सीएम के रूप में स्वीकार कर सकता है।
सीएम बनने की बात खुद पायलट ने सभी जगह गाई थी
गहलोत ने कहा कि पायलट ने उस वक्त खुद ही ये बात फैला दी थी कि वे सीएम बनने वाले हैं। उन्होंने खुद ही विधायकों के साथ गाना शुरू कर दिया कि ये देखिए मेरे पास बधाई के मैसेज आ रहे हैं। उन्होंने ये माहौल खुद ही बनाया। किसी और ने नहीं बनाया। ऑब्जर्वर के आने पर ये माहौल और ज्यादा बिगड़ गया। इसलिए विधायकों को गुस्सा आया। और उन्होंने इस्तीफा दे दिया। तीन नेताओं के इस्तीफे पर अशोक गहलोत ने कहा कि आलाकमान को नाराजगी इस बात की थी, जब ऑब्जर्वर आए थे और मेरे नेतृत्व में सारा काम होना था तब उन्होंने इस आदेश को प्रस्तावित होने से रोक दिया, इसलिए उन्होंने ये नोटिस दिय़ा। अब तीनों नेताओं ने क्या जवाब दिया है और आलाकमन क्या और कब कार्रवाई करेगी ये तो मैं नहीं बता सकता। ये आलाकमान का अधिकार है मेरा नहीं। सीएम ने कहा कि मेरे लिए मुख्यमंत्री रहना कोई जरूरी नहीं है। लेकिन अगर आलाकमान ये नहीं चाहता तो जाहिर है कि वो दूसरा चेहरा लाएंगे तो उस वक्त मुझे ये पद छोड़ने में कोई दिक्कत नहीं है और मैं तो पद से बाहर होते हुए भी पहले की ही तरह ही पार्टी के लिए काम करूंगा। लेकिन आप सर्वे करा लीजिए मेरे नाम का औप पायलट के नाम का एक वोट भी अगर पायलट को मिला तो। मैं आपको कह दूं कि आप 102 लोगों में से किसी को भी सीएम फेस बनाएंगे, सरकार हमारी ही बनेगी, सभी का समर्थन मिलेगा, और अगर पायलट के बनने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता क्योंकि ऐसे गद्दार को कोई स्वीकार नहीं केरगा।
सीएम बदलने का मुझे कोई इंडीकेशन नहीं
सीएम गहलोत ने कहा कि मैंने तो इसके बाद भी पायलट से कोई भेदभाव नहीं किया। पायलट की गलती की मैंने सोनिया गांधी से माफी मांगी है। यह माफी तो उन्हें मांगनी चाहिए थी। मेरी यह नैतिक जिम्मेदारी थी, कि मैं जब विधायक दल का नेता हूं और मेरे विधायकों ने ही आलाकमान का आदेश मानने से मना कर दिया, वो एक गद्दार को कैसे सहन कर सकते हैं। माकन को लेकर उन्होंने कहा कि वे प्रभारी बनकर आए, उन्हें लेकर आलाकमान क्या फैसला सुनाता है। यह मैं कैसे बता सकता हूं। अशोक गहलोत ने कहा कि मेरी लीडर शिप में सरकार इस समय चल रही है। इस समय मैं ही य़हां का लीडर हूं तो आगे भी मेरी लीडरशिप में ही सरकार बनेगी। आगे का तो आलाकमान ही संभालेगा, लेकिन अभी हाईकमान से मुझे किसी तरह का कोई इंडिकेशन नहीं मिला है।
आखिर क्यों खत्म नहीं होता गहलोत-पायलट विवाद
आपके और पायलट के बीच में ऐसा क्या है जो आपके बीच विवाद का कारण बन रहा है। इस पर गहलोत ने कहा कि हमारे बीच ऐसा कुछ भी नहीं है। लेकिन उनके कई ऐसे काम हैं जो मन से उन्हें मुझसे दूर करता गया। जब वसुंधरा राजे की सरकार में गुर्जर आंदोलन हुआ था, तो काफी संख्या में लगभग 70 गुर्जर मारे गए थे, तब मीणाओं और गुर्जरों में काफी तनाव हो गया था। इसलिए मैंने 2009 में सचिन पायलट को इसी कमान दी थी और उन्हें मंत्री बनाने की सिफारिश की थी। कि वे इस समाज से आते हैं तो वे गुर्जरों को संभाल सकते हैं। लेकिन उन्होंने तो खुद को नेता समझ कर ही सारे काम किए उन्होंने गुजर्रों को सिर्फ अपने साथ जोड़ा पार्टी के साथ नहीं। अगर पायलट फिर से बगावत करते हैं तो पार्टी क्या करेगी, इस पर गहलोत ने कहा कि इस बात का मैं कोई जवाब नहीं दे सकता। आगे चुनाव में काफी बहुत अच्छा होने वाला है।
102 विधायक पार्टी औऱ सरकार के प्रति ईमानदार, गद्दार को कैसे स्वीकारेंगे
गहलोत ने कहा कि पार्टी को लेकर राजस्थान में जो कुछ भी चल रहा है वो इतना बड़ा नहीं है जितना मीडिया दिखा रहा है। पिछले दिनों जिन 92 लोगों ने इस्तीफा पेश किए, वे हमारे सबसे ईमानदार साथी थे, ये वो लोग हैं जिन्होंने मुश्किल समय में हमारा साथ दिय़ा। और हमारी सरकार बचाने में लगे थे।
मुझे तो गांधी परिवार ने इन 50 सालों में बहुत कुछ दिया है। इतना तो पार्टी में किसी को नहीं मिला। मीडिया में जो कहा जा रहा है कि उन लोगों ने जो इस्तीफे दिए वो मेरे कहने पर किया। ये सरासर गलत है। उन्होंने सिर्फ इसलिए इस्तीफा दिया क्योंकि उन्हें ये जानकारी मिली थी कि अब शायद सचिन पायलट को सीएम बना दें, क्योंकि उनके पास फोन आए थे। कि आलाकमान से पर्यवेक्षक आए थे आप उन पर सारी बातें छोड़ देना इस पर वे लोग नाराज गए। क्यों कि ये वो लोग थे जिन्होंने 2020 में मेरी सरकार बचाई थी, मेरा साथ दिया।
जिसके पास 10 विधायक तक नहीं, कोई कैसे स्वीकारेगा
गहलोत ने कहा कि जिन्होंने मुश्किल वक्त में मेरा और सरकार का साथ दिया, वो ये कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं कि सरकार गिराने की कगार पर छोड़कर वे 34 दिनों तक वे होटल में रहे, ये 34 दिन हमारे लिए किस तरह से निकले। हमें राजभवन पर धरना तक देना पड़ा।
सीएम गहलोत ने कहा कि जिस आदमी के पास 10 विधायक भी न हो, तो फिर उसे कैसे कोई स्वीकार कर सकता है। सचिन पायलट पूरी तरह भाजपा से मिले हुए थे। मुझे पता है कि भाजपा ने पायलट के साथी विधायकों को 10-10 करोड़ बांटे हैं। ये बात मेरी जानकारी में आई है और ये सही है। और अब पायलट बोलते हैं कि मेरा भाजपा से कोई लेना-देना नहीं है। उसके बाद भी वे पार्टी में हैं लेकिन मुझे पता है वे धर्मेंद्र प्रधान सहित कई भाजपा के बड़े नेताओं से मिले।
जिस इंसान की वजह 34 दिन हमारे बुरे निकले, ऐसे गद्दार को कैसे स्वीकारें
पायलट की बगावत पर कांग्रेस ने कार्रवाई भी की, उन्हें तो प्रदेश अध्यक्ष के पद से बर्खास्त किया गया। ऐसा तो कभी नहीं हुआ कि किसी प्रदेश अध्यक्ष को बर्खास्त किया हो। हां ऐसा हुआ है कि उससे इस्तीफा मांग ले, या ऐसा कोई आदेश आया हो, लेकिन उन्हें तो बर्खास्त किया गया। अगर पायलट के अलावा कोई दूसरा चेहरा भी पार्टी आलाकमान ने खड़ा किया तो भी हम चुनाव जीत जाएंगे। कांग्रेस की ही सरकार बनेगी। लेकिन अगर पायलट को खड़ा भी कर देते हैं तो जीतने की दूर की बात है उन्हें कोई समर्थन नहीं देगा। कोई भी विधायक उन्हें स्वीकार नहीं करेगा, आखिर 34 दिनों तक इतनी मुश्किलों में सभी को डालने वाले इंसान को सीएम के तौर पर कैसे स्वीकार कर सकते हैं।