जयपुर: बीजेपी ने देश के 4 राज्यों में साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर तैयारियों को तेज कर दिया है जहां पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार को 4 राज्यों के चुनाव प्रभारियों का ऐलान कर दिया. बीजेपी आलाकमान ने राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश एवं तेलंगाना के लिए प्रदेश चुनाव प्रभारी एवं सह-चुनाव प्रभारियों की नियुक्तियां की है.
इन नियुक्तियों में राजस्थान के लिए बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी को प्रदेश चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी दी है. वहीं गुजरात से आने वाले नितिन पटेल और हरियाणा से नाता रखने वाले कुलदीप बिश्नोई को राजस्थान चुनावों के लिए सह- चुनाव प्रभारी बनाया गया है. बता दें कि जोशी, पटेल और बिश्नोई की नियुक्ति के आदेश राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान बीजेपी के प्रभारी अरुण सिंह ने जारी किए.
इसके अलावा बीजेपी ने छत्तीसगढ़ का चुनाव प्रभारी पूर्व सांसद ओम प्रकाश माथुर और केंद्रीय मंत्री डॉ मनसुख मंडपिया को सह-चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है. वहीं मध्य प्रदेश में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को प्रदेश चुनाव प्रभारी और अश्विनी वैष्णव को सह-चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है. इसके साथ ही तेलंगाना में पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को प्रदेश चुनाव प्रभारी और बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल को सह-चुनाव प्रभारी बनाकर भेजा गया है.
धारवाड़ से जोशी हैं चौथी बार सांसद
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी कर्नाटक से बीजेपी के सीनियर लीडर हैं और वह धारवाड़ सीट से लगातार चौथी बार लोकसभा के सांसद हैं. पेशे से एक उद्योगपति जोशी ने 1992-1994 के दौरान हुबली, कर्नाटक के ईदगाह मैदान में तिरंगा झंडा फहराने के लिए चले एक आंदोलन के बाद खुद की राजनीतिक पारी की शुरूआत की थी.
वह धारवाड़ जिले में बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे हैं. वहीं जोशी ने पहली बार 2004 में 14वीं लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा जहां उन्होंने कांग्रेस के बी.एस. पाटिल को हराया था. इसके बाद से वह लगातार धारवाड़ से जीत रहे हैं.
एकजुटता का सूत्र दे पाएंगे जोशी!
गौरतलब है कि बीजेपी खेमे में पिछले काफी समय से सीएम फेस को लेकर कई गुट बने हुए हैं जहां बीजेपी की आंतरिक खींचतान कई मौकों पर देखने को भी मिली है. ऐसे में आलाकमान ने केंद्र से किसी नेता को प्रदेश चुनाव प्रभारी बनाकर भेजा है जहां खेमे को एकजुट बनाए रखने के साथ खींचतान से पार पाना एक बड़ी चुनौती होगी. वहीं इससे पहले बीजेपी ने राजस्थान में अध्यक्ष और संगठन में कुछ बदलाव किए थे.