प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष NDA के राष्ट्रपति चुनाव शिवपाल यादव (Shivpal yadav) अब द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को समर्थन देंगे। गाजियाबाद में प्रसपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रिछपाल चौधरी के निधन होने पर वे उन्हें श्रद्धांजलि देने गए थे। कार्यक्रम के बाद उन्होंने पत्रकारों से बातचीत की, जिसमें उन्होंने खुलासा किया कि मैं द्रौपदी मुर्मू को ही समर्थन दूंगा। यशवंत सिन्हा ने तो मुझसे समर्थन मांगा ही नहीं। उन्होंने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने मुझे बैठक तक में नहीं बुलाया। तो मुझे उनके फैसले के बारे में कुछ पता नहीं है।
अखिलेश एक अपरिपक्व नेता हैं – शिवपाल
शिवपाल यादव ने अपने भतीजे और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर आरोप लगाते हुए कहा कि अखिलेश यादव एक अपरिपक्व नेता हैं। वे नेताओं का सम्मान नहीं करते। उनका सम्मान सिर्फ चुनाव तक की होता है। विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश मेरे घर आए थे। उन्होंने मुझे टिकट, सम्मान और जिम्मेदारी देने का आश्वासन दिया था। इसलिए मैंने अपनी पार्टी से न खड़े होकर सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन इसके बाद मेरे साथ अखिलेश ने धोखा किया। जिसका नतीजा उन्हें मिला है। अब वे विपक्ष में जो आ गए हैं।
मुझे जब-जब नजरअंदाज किया तब-तब सपा ने चुनाव हारा
शिवपाल यादव यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि सपा की बैठकों में मुझे नहीं बुलाया जाता। वे मुझे हमेशा नजरअंदाज करते हैं। उन्होंने कहा कि 2014, 2017, 2019, 2022 के चुनाव में लगातार सपा को हार का सामना करना पड़ा है। अब कोई भी चुनाव हो, हम सपा से समझौता नहीं करेंगे। हमारी पार्टी प्रसपा नगरीय निकाय चुनाव भी लड़ेगी, और अपने दम पर लड़ेगी।
मूर्मू ने वोट मांगा, सिन्हा ने नहीं
दरअसल द्रौपदी मुर्मू जब अपने लखनऊ दौरे पर थीं। तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से उनके आवास पर डिनर आयोजित किया गया था। जिसमें शिवपाल यादव को भी बुलाया गया था। इसी कार्यक्रम में राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने शिवपाल यादव से मुलाकात की थी। मुर्मू ने शिवपाल से राष्ट्रपति चुनाव के लिए समर्थन मांगा था। शिवपाल यादव ने गाजियाबाद में कहा कि द्रौपदी मुर्मू ने मुझसे वोट मांगा था। यशवंत सिन्हा, अखिलेश यादव ने मुझसे कोई वोट नहीं मांगा। तो मैं मुर्मू को ही वोट करूंगा।
‘यशवंत सिन्हा को शिवपाल यादव का वोट दिलवा कर दिखाएं’
अखिलेश यादव से सिर्फ शिवपाल यादव की तल्खी ही नहीं है, बल्कि सपा गठबंधन में शामिल कई छोटे दलों की भी हैं । जिसमें सबसे पहला नाम ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा का है। जिनसे अखिलेश यादव के साथ तल्ख होते रिश्तों की खबरें सियासी गलियारों की सुर्खियों में हैं। उन्हें भी यशवंत सिन्हा के आगमन पर सपा की ओर से बुलाई बैठक में नहीं बुलाए जाने पर नाराजगी जताई।
जिसके बाद सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव की तरफ इशारा करके उन्हें चुनौती दी है, कि राष्ट्रपति चुनाव के विपक्ष उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को शिवपाल यादव के वोट दिलवा के दिखाएं…अगर वो अपने आपको बड़ा नेता मानते हैं। राजभर की इस खुली चुनौती से यह तो साफ दिख रहा है कि सपा और सुभासपा में सब कुछ ठीक नहीं है। अगर नहीं तो यह सपा के लिए चिंता की बात होगी। क्योंकि हाल ही में महान दल ने सपा के साथ अपना नाता तोड़ लिया है, औऱ गठबंधन से बाहर हो गई है। अब ओमप्रकाश राजभर के बगावती सुर देखकर यह लगता है कि शायद ही यह गठबंधन आगे चल पाएगा।