Rajasthan CM: भरतपुर जिले के अटारी गांव में रहने वाले एक साधारण कार्यकर्ता भजनलाल शर्मा को भाजपा ने राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाकर सभी को चौंका दिया है। लेकिन, देश की आजादी के बाद से अब तक कई बार ऐसा हो चुका है जब आम और दलित परिवार के लोग मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। आज हम आपको कुछ ऐसे ही नेताओं के बारे में बता है। आईये जानते है कि बरकतुल्लाह खान, टीकाराम पालीवाल, जगन्नाथ पहाड़िया, पंडित हीरालाल शास्त्री और हरिदेव जोशी के सीएम बनने के रोचक किस्से…
बरकतुल्लाह खान : जोधपुर में 25 अक्टूबर 1920 में जन्मे बरकतुल्लाह खान का साल 1971 में राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे। बात उस वक्त की है जब साल 1971 में पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के हालात खराब थे और बड़ी संख्या में लोग उस इलाके को छोड़कर भारत आ रहे थे। इसी सिलसिले में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल लंदन गया था।
जिसमें राजस्थान के सुखाड़िया सरकार के मंत्री बरकतुल्लाह खान भी थे। लेकिन, इंदिरा गांधी ने उनको अचानक वापस बुला लिया था। उनसे कहा गया था कि उन्हें राजस्थान का सीएम बना दिया गया और वो वापस आ जाए। फिर भी अगली फ्लाइट पकड़कर वो दिल्ली पहुंचे। बरकतुल्लाह खान ने 9 जुलाई 1971 को राजस्थान के छठे सीएम के तौर पर शपथ ली और वो इस पद पर 11 अक्टूबर 1973 तक बने रहे।
टीकाराम पालीवाल : दौसा जिले के मंडावर कस्बे में 24 अप्रैल 1909 को जन्मे टीकाराम पालीवाल 3 मार्च 1952 को राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे। जयनारायण व्यास के चुनाव हारने के बाद पालीवाल को सीएम बनाया गया। लेकिन, वो महज आठ महीने ही इस पद पर रहे। प्रदेश के चौथे और निर्वाचित होने वाले पहले मुख्यमंत्री रहे पालीवान ने राजस्थान में पहला टैक्स फ्री बजट पेश किया था।
पालीवाल बेहद सादगी पसंद व्यक्ति थे और सीएम रहते हुए और पद से हटने के बाद भी उन्होंने सरकारी बंगला नहीं लिया। वे जयपुर में न्यू कॉलोनी पांच बत्ती चौराहे पर अपने दोस्त कालाडेरा के सेठ रामगोपाल सेहरिया के मकान में किराये पर ही रहे थे।
जगन्नाथ पहाड़िया : जगन्नाथ पहाड़िया का जन्म 15 जनवरी 1932 को राजस्थान में भरतपुर के भुसावर में हुआ था और वे इमरजेंसी खत्म होने के बाद साल 1980 के चुनाव में राजस्थान के पहले दलित सीएम बने थे। पहाड़िया को कुर्सी पर लाने वाले खुद संजय गांधी थे। 26 वर्ष की उम्र में ही जगन्ननाथ पहाड़िया लोकसभा में पहुंच गए थे।
वो चार बार सांसद और चार बार विधायक भी रहे। केंद्र में मंत्री उसके बाद बिहार-हरियाणा के राज्यपाल भी रहे। मुख्यमंत्री बनकर कांग्रेस उत्तर भारत में दलितों को साधना चाह रही थी, लेकिन जगन्ननाथ पहाड़िया कुछ ऐसा नहीं कर पाए थे। कवयित्री महादेवी वर्मा को लेकर की गई टिप्पणी के कारण उन्हें कुर्सी गंवानी पड़ी थी।
हीरालाल शास्त्री : जयपुर जिले में जोबनेर में 24 नवम्बर 1899 को हीरालाल शास्त्री का जन्म हुआ था। सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रभाव के बाद पंडित हीरा लाल शास्त्री नवगठित राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने 7 अप्रैल 1949 को सीएम पद की शपथ ली थी। शास्त्री धीरे-धीरे अपने कामों की बदौलत नेहरू और पटेल के करीब आ गए थे। पटेल उनसे बहुत प्रभावित हुए थे और उन्हें सीएम बना दिया गया था।
हरिदेव जोशी : बांसवाड़ा के खांदू गांव में 17 दिसम्बर 1921 को जन्मे हरिदेव जोशी राजस्थान के ऐसे सीएम थे, जिनके एक नहीं था। लेकिन, सियासत पर उनकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि 10 बार चुनाव लड़ा और हर बार जीत मिली। वो तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। लेकिन, कभी भी 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए थे। एक बार तो उन्हें ऐन वक्त पर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से रोक दिया गया था।
दरअसल, हरिदेव जोशी ने असम के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति वेंकटरमण ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था। इसके बाद आलाकमान ने राष्ट्रपति से संपर्क साधा और फिर शाम तक हरिदेव जोशी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया था। इसके बाद वो 4 दिसंबर 1989 को तीसरी बार मुख्यमंत्री बने थे।