Rajasthan Assembly Election 2023: एक देश एक चुनाव का मसला कोई नया नहीं है। समय समय पर इस बारे में चर्चा होती रही है। राजस्थान की जनता को याद होगा कि भाजपा के दिग्गज नेता भैरों सिंह शेखावत ने उपराष्ट्रपति पद पर आसीन रहते हुए इसकी जोरदार वकालत की थी। संयोग देखिए कि खुद उन्होंने एक देश-एक चुनाव की तर्ज पर देश में होने वाले आम चुनाव के अन्तर्गत आज से 56 साल पहले विधायक पद के लिए आखिरी चुनाव लड़ा था। परंतु आप चौंकिए मत। इस चुनावी इतिहास के उलट वह बाद के 31 वर्षों में भी विधायक पद का चुनाव लड़ते रहे- इसका किस्सा भी सुनें।
स्वाधीनता प्राप्ति के बाद वर्ष 1952 से संसदीय शासन प्रणाली के लिए केन्द्र और राज्यों में आम चुनाव के रूप में लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की परम्परा शुरू हुई। वर्ष 1952 में पहले, 1957 में दूसरे, 1962 में तीसरे और 1967 में चौथे आम चुनाव एक साथ हुए। स्वाधीनता के पश्चात से केन्द्र और राज्यों में कांग्रेस का एकछत्र राज था। लेकिन 1967 में कुछ राज्यों में विपक्षी दलों ने मिलकर सरकारें बनाईं । इधर 1969 में कांग्रेस में विभाजन, बैंक राष्ट्रीयकरण 1971 में भारत पाक युद्ध के पश्चात एक साथ लोकसभा-विधानसभा चुनाव का क्रम टूट गया।
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तत्कालीन जनसंघ नेता भैरोंसिंह शेखावत ने सीकर जिले के दांतारामगढ़-श्रीमाधोपुर से दो चुनाव जीतकर जयपुर को अपनी चुनावी राजनीति का केन्द्र बनाया। वर्ष 1962 में किशनपोल विधानसभा क्षेत्र से शेखावत स्वतंत्र पार्टी के महेन्द्र सिंह से 6701 मतों से विजयी रहे। लेकिन 1967 के चुनाव प्रचार में दिलचस्प दृश्य देखने को मिले जब प्रतिद्वंदी प्रत्याशी स्कूटर पर एक साथ दिखाई दिए।
एक राजनेता था, दूसरा पत्रकार। तो इस किस्से की शुरुआत हुई अजीब तरह की जिद से। लोकसभा के लिए कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. राजमल कासलीवाल के चुनाव प्रचार के जिम्मेदारों में पत्रकार प्रवीण चन्द छाबड़ा भी शामिल थे। किसी बात पर उन्होंने निर्दलीय नामांकन पत्र भर दिया। जनसंघ प्रत्याशी भैरों सिंह शेखावत मैदान में थे।
छाबड़ा ने उस चुनाव की धुंधली स्मृति को ताजा करते हुए बताया कि वह नाम वापस लेने गये थे लेकिन समय पर नहीं पहुंच सके। वरिष्ठ पत्रकार मिलापचंद इंडिया कहते हैं कि एक बार भैरोंसिंह छाबड़ा के स्कूटर पर बैठकर निर्वाचन क्षेत्र में घूम आए, तब लोगों ने इस नजारे का आनंद लिया। वह छाबड़ा के न्यू कॉलोनी स्थित चुनाव कार्यालय भी पहुंच गए। छाबड़ा ऊपरी मंजिल पर गए तो पीछे से भैरूं बाबा ने उनके समर्थकों को संकेत दिया कि चुनाव खर्चे की कोई जरूरत हो तो चिंता नहीं करना। चुनाव प्रचार के दौरान यह अफवाह भी फैली कि चुनाव में किसी प्रत्याशी के वोट काटने के लिए छाबड़ा को खड़ा किया गया है।
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बहरहाल चुनाव हो गया और शेखावत विजयी हुए। तब किशनपोल विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या थी 78938, इनमें 57.52 प्रतिशत अर्थात 45402 मतदाताओं ने मतदान किया। कुल 42992 वैध मतों में से शेखावत को 23719 वोट मिले। उन्होंने कांग्रेस के रमेशचंद स्वामी को 8721 मतों से पराजित किया।
इस चुनाव में प्रवीणचन्द्र को 357 वोट मिले। मतपत्र में उनका नाम पी चन्द्र दर्ज था। सीपीआई के दिग्गज नेता एच के व्यास को 195, सीपीएम के श्रीकृष्ण को 896, प्रज्ञा सोशलिस्ट पार्टी के एस नारायण को 119, निर्दलीय एके योगीराज को 710 और एम चंद को 242 वोट मिले। पर यह चुनाव यादगार बन गया।
- गुलाब बत्रा, वरिष्ठ पत्रकार