Farmers Debt Relief Commission Bill : जयपुर। राजस्थान में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक गलियारों में किसान की कर्जमाफी का मुद्दा गरमाता जा रहा है। लाखों किसानों के कर्ज माफी का दावा करने के बाद भी केंद्रीकृत बैंकों का कर्ज किसानों में माथे से नहीं उतरा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा केंद्र सरकार से केंद्रीकृत बैंकों का वन टाइम सेटलमेंट की बार बार मांग रखने के बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया तो, अब कांग्रेस की गहलोत सरकार इस समस्या का समाधान नए फॉर्मूले से निकालने जा रही है। अगर सब कुछ सही रहा तो प्रदेश के किसानों को जल्द ही बड़ी राहत मिलेगी और बैंक जबरन किसानों से कर्ज वसूली नहीं कर पाएंगे।
गहलोत सरकार 2 अगस्त को राजस्थान विधानसभा में किसान ऋण राहत विधेयक-2023 (Farmers Debt Relief Commission Bill-2023) पेश करने वाली है। इस विधेयक के पारित होने के बाद किसान ऋण राहत आयोग के गठन का रास्ता साफ हो जाएगा।
किसान ऋण राहत आयोग बनने के बाद बैंक या कोई भी फाइनेंशियल संस्था फसल खराब होने पर किसान पर कर्ज वसूली का प्रेशर नहीं बना सकेंगी। यानी फसल खराबी पर किसान कर्ज माफी के लिए आयोग में आवेदन कर सकेंगे। आयोग से सरकार को किसानों के कर्ज माफ करने या सहायता करने के आदेश कभी भी जारी हो सकते हैं।
आयोग में होंगे 5 मेंबर, 3 साल का होगा कार्यकाल
किसान ऋण राहत आयोग का कार्यकाल 3 साल का होगा। आयोग में अध्यक्ष सहित 5 सदस्य शामिल होंगे। इन सभी का कार्यकाल तीन साल का होगा। खास बात ये है कि प्रदेश सरकार अपने स्तर पर आयोग की अवधि को बढ़ा सकेगी। किसी भी मेंबर को हटाने का अधिकारी भी सरकार की पास होगा।
आयोग में हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अध्यक्ष होंगे और रिटायर्ड आईएएस, जिला व सेशन कोर्ट से रिटायर्ड जज, बैंकिंग के रिटायर्ड अधिकारी और एक एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट को सदस्य बनाया जाएगा। सहकारी समितियों के एडिशनल रजिस्ट्रार स्तर का अधिकारी आयोग का सदस्य सचिव होगा।
आयोग के पास होगा सिविल कोर्ट के बराबर पावर
किसान ऋण राहत विधेयक के तहत कर्ज से राहत कोई भी किसान आयोग के समक्ष आवेदन दे सकेगा। लेकिन, इस बात ध्यान रहे कि कर्जमाफी क्यों की जाएं, इस बारे में किसान को स्पष्ट बताना होगा। इसके बाद ही आयोग अपना फैसला लेगा। लेकिन, इसके लिए आयोग किसान के घर व खेत पर जाकर मौका मुआयना भी करेगा। अगर आयोग को लगेगा कि वास्तव में किसान कर्जमाफ होना चाहिए, तो ही सरकार के पास सिफारिश भेजेगा।
आयोग बैंकों के प्रतिनिधियों को भी सुनवाई का मौका देगा। लेकिन, किसान को सरकार द्वारा संकटग्रस्त घोषित करने के बाद बैंक उस किसान से जबरन कर्ज की वसूली नहीं कर सकेगा। किसान कर्ज राहत आयोग के पास सिविल कोर्ट के बराबर पावर होगा। यानी आयोग के फैसले को सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।
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