ओडिशा के बालासोर में 2 जून की शाम को एक भायनक ट्रेन हादसा हुआ था। कहने को तो इस हादसे ने अब तक 280 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन देखा जाए तो उन 280 लोगों के साथ कई परिवारों ने अपना सब कुछ खो दिया है। इन ट्रेनों में सवार कई लोगों की कई सारी अलग-अलग कहानियां होगी। कुछ अपने परिवार से मिले की चाहत रख रहे होंगे तो कुछ अपने प्यार से मिलने के लिए उत्सुक होगे। इस भीषण हादसे में का शिकार हुए लोगों का समान पटरियों पर कुछ इस तरह फैला हुआ है जैसे मानों धूल मिट्टी हो। इसी फैले समान में एक नोटबुक सामने आई है जिसमें बंगाली में प्रेम का इजहार किया गया है।
बंगाली में लिखी कविता
पटरी पर कई लोगों के सामान के साथ एक फटी हुई डायरी भी मिली है। इस डायरी का मालिक कौन है इस बात का पता नहीं चल पाया है। लेकिन इस कविता को पढ़ने से लगता है मानो जिसने भी ये कवुता लिखी है उसे लिखने का शौक खूब रहा होगा। कविता कुछ ऐसी है, अल्पो अल्पो मेघा थाके, हल्का ब्रिस्टी होय, चोटो चोटो गोलपो ठेके भालोबासा सृष्टि होय।’ इसका मतलब है, ठहरे ठहरे बादलों से बरसती हैं बूंदे, जो हमने तुमने सुनी थी कहानियां, उनमें खिलती हैं मुहब्बत की कलियां। वहीं एक और पन्ने पर लिखा है, ‘भालोबेशी तोके चाई साराखोन, अचिस तुई मोनेर साठे।’ मतलब, ‘प्यार से मुझे हर समय आपकी जरूरत है, आप हर समय मेरे दिमाग में हैं।
पुलिस को है तलाश
इस फटे पन्नों को पुलिस ने सभांलकर रख लिया है। हालांकि उनका कहना है कि इन कविताओं और डायरी पर कोी भी दावा करने वाला उनके पास नहीं आया है। साथ ही ये भी नहीं कह सकते कि, लिखने वाले के साथ क्या हुआ होगा। आपको बता दें कि, अभी तक भी 187 मृतको की पुष्टी नहीं हो सकी है। पुलिस इनके परिजनों का पता लगाने का पूरा प्रयास कर रही है।
कैसे हुआ था हादसा
2 जून की शाम को करीब 7 बजे कोरोमंडल एक्सप्रेस बहानगा बाजार स्टेशन के मेन लाइन से गुजर रही थी। इस बीच को डिरल होकर लूप लाइन पर खड़ी मिालगाड़ी से टकरा गई। नतीजा ये हुआ कि, ट्रेन के 21 कोच पटरी से उतर गए और 3 कोच डाउन लाइन पर चले गए। वहीं दूसरी ओर से आ रही ट्रेन भी उसके डिब्बों से टकराकर गिर गई। अब तक इस हादसे में 280 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 1000 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं।