हर व्यक्ति के अंदर एक ऐसा यात्री छिपा हुआ होता है, जो संसार की प्रत्येक खूबसूरत जगह को देखना चाहता है। मगर कई व्यस्तताओं के चलते हर स्थान को देख पाना व्यक्ति के लिए संभव नही होता है। लेकिन बात करें अपने देश भारत की तो यहां कई अनगिनत सुंदर-सुंदर देखने लायक पर्यटक स्थान है। ऐसा ही एक स्थान है उत्तराखंड के चमोली जिले में, जिसका नाम है माणा गांव। हाल ही में इस गावं को भारत के पहले गांव का दर्जा दिया गया है।
इससे पहले यह भारत के आखिरी गांव के रूप में जाना जाता था। चीन-तिब्बत सीमा पर बसे इस गांव में न जाने कितने ही प्राकृतिक नजारे हैं, जिन्हें देखने के लिए लोग मीलों का सफर तय करके आते हैं। महाभारत काल से भी इसका इतिहास जुड़ा हुआ है। यह गांव बद्रीनाथ धाम से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसलिए जो लोग बाबा बद्रीनाथ के दर्शन करने आते हैं, वे इस गांव का भ्रमण अवश्य करते हैं।
दो नदियों के संगम पर बसा
उत्तराखण्ड के चमोली ज़िले में स्थित यह स्थान सर्दियों के मौसम में बर्फ से ढका रहता है। यहां से राष्ट्रीय राजमार्ग 7 गुजरता है। यहां से तिब्बत की सीमा केवल 26 किलोमीटर दूर है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 3,219 मीटर है। माणा गांव अलकनंदा और सरस्वती नदी दो नदियों के संगम पर बसा हुआ है। माना जाता है कि इस गांव में पांचों पांडव रहते थे। जब महाराज पांडु ने अपनी इच्छा से राज्य त्याग दिया था, तब वे अपनी रानियों कुंती और मादरी के साथ यही रहते थे।
सरस्वती नदी इसी गांव से निकलती है। यह स्थान चारों ओर से हिमालय की पहाड़ियों से घिरा हुआ है तथा यहां का वातावरण भी बिल्कुल साफ-सुथरा है। वर्ष 2019 के स्वच्छ भारत सर्वे में माणा गांव को सबसे साफ गांव का दर्जा दिया गया था। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की जनसख्यां 1214 है। यहां अधिकतर भोतिया समुदाय के लोग रहते हैं।
पर्यटक स्थान
इस गांव में कई पर्यटक स्थान है। पहले स्थान पर है व्यास पोथी। यह स्थान बद्रीनाथ से तीन किलोमीटर की दूरी पर है। यहां महर्षि वेद व्यासजी की गुफा है, जो कि महाभारत के रचनाकार थे। इसी के नजदीक गणेश गुफा भी है। कहा जाता है कि इसी गुफा के भीतर व्यासजी के द्वारा महाभारत को मौखिक रूप दिया गया था, जिसे गणेशजी ने लिखा था।
माना जाता है कि यह वही गांव है, जहां से पांडवों ने स्वर्ग जाने का रास्ता निकाला था। यहां का एक पर्यटन स्थल भीम पुल भी है। जिसके बारे में कहा जाता है कि स्वंय भीम ने इसे बनाया था। जो कि सरस्वती नदी के ऊपर बना हुआ है। इसके अलावा यहां सरस्वती मंदिर और वसुधारा झरना भी है।
बीआरओ ने बदला गांव का श्राइन बोर्ड
अब तक लोग इसे भारत के आखिरी गांव के रूप में जानते थे। लेकिन बीआरओ यानी बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ने इस गांव का श्राइन बोर्ड में परिवर्तन कर दिया है। अब इस गांव को भारत के पहले गांव के रूप में जाना जाएगा। इसी घोषणा के बाद यहां के सभी बोर्ड भी बदल दिए गए हैं। जिन पर लिखा है- ‘भारत का प्रथम गांव माणा’।