Women Reservation Bill: देश की नई संसद में पहले दिन की कार्यवाही में मंगलवार को 27 सालों से अटका महिला आरक्षण बिल एक बार फिर पेश कर दिया गया है. लोकसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण बिल का मसौदा रखा. वहीं बिल पेश करने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया कि महिला आरक्षण बिल का नाम ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ होगा.
वहीं अपने संबोधन में पीएम ने 10 मिनट महिलाओं के मुद्दे पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि इस बिल के लागू होने से हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा. बता दें कि महिला आरक्षण बिल कई सालों से अटका हुआ है जहां 1996 में इससे जुड़ा विधेयक पहली बार पेश हुआ था. इसके बाद अटल सरकार में कई बार महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया लेकिन पारित नहीं हो पाया.
क्या है महिला आरक्षण विधेयक?
मालूम हो कि पिछले करीब दो दशक से महिलाओं को आरक्षण देने की मांग चल रही है जहां पहले की कई सरकारों में इस बिल को पेश किया गया है. वहीं अब मोदी सरकार ने इस बिल का नाम संशोधन करके नारी शक्ति वंदन अधिनियम दिया है. इस बिल के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित रहेंगी. वहीं इस 33 फीसदी में से ही एक तिहाई सीटें अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएंगी.
लोकसभा में 181 होगी महिलाओं की संख्या
बिल को पेश करते समय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सदन में जानकारी दी कि महिला आरक्षण बिल की अवधि 15 साल होगी और यह सीमा बढ़ाने का अधिकार संसद के पास होगा.
वहीं इस अधिनियम के पारित होने के बाद संसद में महिलाओं की संख्या 181 हो जाएगी. दूसरे शब्दों में देखें तो इसका मतलब हुआ कि अब लोकसभा और विधानसभा में हर तीसरी सदस्य महिला होगी. वर्तमान में लोकसभा में 82 महिला सांसद है.
इसके अलावा बिल में संविधान के अनुच्छेद- 239AA के तहत दिल्ली की विधानसभा में भी महिलाओं को 33% आरक्षण मिलेगा जिसके बाद दिल्ली विधानसभा में 70 में से अब 23 सीटें महिलाओं के लिए होंगी. वहीं बाकी राज्यों की विधानसभाओं में भी 33 फीसदी आरक्षण महिलाओं को मिलेगा.
कब लागू होगा आरक्षण?
वहीं बिल में बताया गया है कि डिलीमिटेशन के बाद महिला आरक्षण लागू होगा और डिलिमिटेशन के लिए एक कमीशन बनाया जाएगा. बता दें कि डिलिमिटेशन के बाद करीब 30 फीसदी सीटें बढ़ेंगी. मालूम हो कि 2026 के बाद ही देश में लोकसभा सीटों का परिसीमन होना है ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव के समय महिला आरक्षण बिल कानून की शक्ल नहीं लेगा.
एससी-एसटी और OBC महिलाओं को क्या मिला?
वहीं बिल में बताया गया है कि एससी-एसटी महिलाओं को अलग से आरक्षण नहीं दिया जाएगा क्योंकि कोटा के अंदर कोटा की व्यवस्था की गई है जिसका मतलब हुआ कि लोकसभा और विधानसभाओं में जितनी सीटें एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं उनमें से ही 33% सीटें महिलाओं के लिए होंगी. इसके अलावा लोकसभा में ओबीसी वर्ग के लिए अलग से आरक्षण की व्यवस्था नहीं की गई है.
मनमोहन सरकार में भी हुआ था पेश
गौरतलब है कि महिला आरक्षण बिल में संविधान संशोधन के बाद 108वां विधेयक 2008 में मनमोहन सिंह सरकार के दौरान भी सदन में पेश किया गया था जहां मार्च 2010 में राज्यसभा में पारित हुआ लेकिन लोकसभा में पारित नहीं हो सका. इसके बाद 2014 में लोकसभा भंग हो गई और राज्यसभा से पास हुआ बिल फिर लोकसभा में नहीं जा पाया.