सतीश पूनिया को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाए जाने के बाद अब जाट समाज में भारी विरोध देखा जा रहा है। सोशल मीडिया से लेकर अब सड़क पर यह विरोध सार्वजनिक हो गया है। सोशल मीडिया पर तो आज #सतीशपूनिया, #सतीश_पूनिया_में_क्या_बुराई_थी , #जाटसमाज जबरदस्त ट्रेंडिंग पर हैं। अब यह विरोध सड़क पर उतर आया है। युवा जाट महासभा ने तो केंद्र सरकार को चेतावनी दे दी है कि सतीश पूनिया को इस तरह उपेक्षित करने का अंजाम उसे विधानसभा चुनाव में भुगतना ही पड़ेगा।
युवा जाट महासभा ने किया जबरदस्त प्रदर्शन
पूनिया को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाने से युवा जाट महासभा के कार्यकर्ता बेहद नाराज हैं। उन्होंने आज भाजपा मुख्यालय के सामने जोरदार प्रदर्शन किया और भाजपा के फैसले पर अपनी नाराजगी जताई। महासभा के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप देवा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि सतीश पूनिया जाट नेता हैं। वह एक कद्दावर नेता हैं। उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाकर पार्टी ने उनका अपमान किया है। जिससे जाट समाज में आक्रोश है, जो व्यक्ति 3 साल तक दिन-रात मेहनत करके उसने पार्टी को यहां तक लाकर खड़ा किया। हर एक आंदोलन को उसने ज्वलंत बनाया, पुलिस की लाठियां तक खाईं, उसको पार्टी ने चुनाव आते बाहर का रास्ता दिखा दिया। यह पूनिया का अपमान है और यह सिर्फ उनका ही नहीं पूरे जाट समाज का अपमान है।
जाट नेता का अपमान जरा भी बर्दाश्त नहीं
पार्टी का यह फैसला बहुत ही गलत है, जिसे जाट समाज बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा। इसके खिलाफ पार्टी को किसी भी स्तर पर जाना हो तो वह जाएगा। कुलदीप ने कहा कि चुनाव से पहले उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया है, यह कुछ नहीं सिर्फ राजनीति से प्रेरित है और इस बात का संकेत है कि भाजपा जाट विरोधी है। अगर भाजपा ने अब जाट को किनारे किया है, आने वाले चुनाव में यही जाट भाजपा को सरकार से किनारे कर देगा।
चुनाव में भाजपा को सिखाएंगे सबक
कुलदीप ने कहा कि पूनिया अकेले नहीं है। भाजपा तो इस गलतफहमी में बिल्कुल ना रहे। पूनिया के साथ उनका पूरा जाट समाज खड़ा है। मोदी सरकार में एक भी जाट मंत्री राजस्थान से नहीं है। अब जाट समाज को सोचना है, यही समय है भाजपा को सबक सिखाने का, एक जाट का अपमान करने का अंजाम क्या होता है।
जाटों से भाजपा को नफरत !
बता दें कि सोशल मीडिया पर भी सतीश पूनिया के समर्थक भाजपा पर बौखलाए हुए हैं। सोशल मीडिया पर तो एक आवाज उठ चुकी है कि एक जाट नेता भाजपा को इतना नागवार गुजरा कि उसने प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया, क्योंकि भाजपा जाटों से नफरत करती है, अब आने वाले चुनाव में जाट दिखा देंगे कि सतीश पूनिया को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाने का अंजाम क्या होता है।
जाट दिखाएंगे पूनिया को हटाने का नतीजा क्या?
सोशल मीडिया पर इस तरह की बातें सतीश पूनिया के हैश टैग के नाम से भरी पड़ी है। #सतीश_पूनिया_में_क्या_बुराई_थी के हैश टैग से उनके समर्थक सोशल मीडिया पर एक तरह की जंग लड़ रहे हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि सतीश पूनिया को अध्यक्ष पद से हटाने के बाद किसान वर्ग उनसे खासा नाराज हो गया है। क्योंकि सतीश पूनिया एक साधारण से किसान परिवार से आए हुए नेता हैं। जिन्होंने राजस्थान की राजनीति में एक बड़ा नाम कमाया है। यहां तक कि सीएम पद की रेस में भी उनका नाम जोरों शोरों से चला। राजस्थान के हर एक मुद्दे पर उन्होंने अपनी बेबाक राय रखी। उन पर वे जबरदस्त आंदोलन करने से भी नहीं कतराए।