धरती पुत्र कहे जाने वाले मुलायम सिंह यादव अब हमारे बीच नहीं है। उन्होंने अपनी राजनीति से लोगों के दिलों में ऐसी छाप छोड़ी है कि उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता। मुलायम सिंह यादव का जन्म 2 नवम्बर 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा में सैफई गाँव में हुआ था। उनके पिता एक किसान थे। मुलायम सिंह यादव पाँच भाई-बहन थे। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव मुलायम सिंह यादव के भाई हैं। प्रोफेसर और सपा नेता रामगोपाल यादव इनके चचेरे भाई हैं।
पहलवानी के दांव-पेंच से सीखी ‘राजनीति’
मुलायम सिंह के यादव के पिता इन्हें पहलवान बनाना चाहते थे इसलिए मुलायम सिंह यादव ने पहलवानी सीखी और उसमें निपुण हुए। पहलवानी के दांव-पेंच लगाते-लगाते वे राजनीति के दांव-पेंच भी सीख गए। उनका झुकाव राजनीति की तरफ होने लगा था। पहलवानी में अपने राजनीतिक गुरु चौधरी नत्थूसिंह को मुलायम सिंह यादव मैनपुरी की एक कुश्ती-प्रतियोगिता में दिखे थे। जिसके बाद उन्होंने जसवन्त नगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और अपना राजनीतिक सफर शुरू किया।
कुछ ऐसा रहा था राजनीतिक सफर
1-मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के 3 बार मुख्यमंत्री रहे थे। साल 1988, 1993, 2003 में उन्होंने उत्तर प्रदेश की सत्ता की कमान संभाली थी।
2-साल 1996 से 1998 तक वे भारत के रक्षामंत्री रहे थे। यह उस समय की बात है जब संयुक्त मोर्चा ने इसी साल देश की सबसे पुरानी बड़ी पार्टी कांग्रेस को हरा कर केंद्र में अपनी सरकार बनाई थी। तब एचडी देवगौड़ा देश के प्रधानमंत्री थे।
3-मुलायम सिंह यादव साल 1967 में पहली बार विधायक बने थे इन्हें यूपी कैबिनेट में मंत्री भी बनाया गया था।
4-राजनीति में आने के बाद बहुत जल्द मुलायम सिंह यादव का प्रभुत्व पूरे प्रदेश में दिखने लगा था। लोगों ने मुलायम सिंह यादव से अपना जुड़ाव महसूस किया। लोगों के लगाव और प्रेम से वे सत्ता की सीढ़ी चढ़ते चले गए। उन्होंने पिछड़ा वर्ग के लिए उल्लेखनीय कार्य किया। जिससे इस वर्ग लोगों में मुलायम सिंह के प्रति रुझान बढ़ा था।
5-मुलायम सिंह यादव ने साल 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की। इसके बाद से उनका राजनीतिक कद बढ़ता ही चला गया। सिर्फ उत्तर प्रदेश नहीं बल्कि देश की राजनीति में भी उनका नाम हुआ। इसके चलते उन्हें जनता ने प्रेम से नेताजी का नाम दिया।
6-साल 2007 के विधानसभा चुनाव में सपा को बसपा से कड़ी टक्कर मिली। लेकिन सपा यह चुनाव हार गई थी। जिसेक बाद मायावती यूपी की सत्ता की कुर्सी पर बैठी थीं। हालांकि उस वक्त मायावती और मुलायम सिंह के बीच मधुर संबंध थे। राजनीतिक द्वेष उनके निजी संबंधों में कभी नहीं दिखाई दिया।
7-साल 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा फिर से पूरे दमखम के साथ लड़ी। नेता जी के दांवपेंच ने इस बार सपा ने बसपा को जोरों की पटखनी दी और जीत का सेहरा सपा के सिर पर सजा। लेकिन इस बार मुलायम सिंह यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं बने। उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया।
8- मुलायम सिंह यादव साल 1996 में मुलायम सिंह यादव ग्यारहवीं लोकसभा के लिए मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से सासंद चुने गए थे। इसके बाद वे बारहवीं, तेरहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा के सदस्य चुने गये थे।
9- साल 1996 में जब संयुक्त मोर्चा सरकार बनी थी जिसमें मुलायम सिंह केंद्रीय़ मंत्री थे। लेकिन यह सरकार जल्दज ही गिर गई थी। इसका कारण सामने आया था कि मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री बनाने की बात चली थी। प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए मुलायम सिंह का नाम सबसे आगे था। लेकिन लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने समीकरण ऐसे बिठाए कि वे प्रधानमंत्री बनते बनते रह गए।
10-साल 2017 के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा फिर से पूरे दमखम से लड़ी थी। लेकिन चुनावी माहौल के बीच मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच ऐसी खाई बढ़ी की अखिलेश यादव ने शिवपाल को बाहर का रास्ता दिखा दिया और पिता मुलायम सिंह यादव को पार्टी अध्यक्ष की जगह पार्टी सरंक्षक बना दिया। जिसके बाद से मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक सक्रियता कम होती चली गई थी।
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