भारत की दिग्गज आईटी कंपनियों में एक Infosys पर अमरीकी अदालत में सनसनीखेज आरोप लगाए गए हैं। इंफोसिस में एचआर की पूर्व उपाध्यक्ष जिल प्रेजीन ने अदालत में कहा है कि कंपनी ने अपने एचआर स्टाफ को भारतीय मूल के लोगों, बच्चों वाली महिलाओं और 50 से अधिक उम्र के लोगों को काम पर रखने से बचने के निर्देश दिए थे।
प्रेजीन ने आरोप लगाते हुए कहा कि जब उन्होंने ऐसा करने से मना किया तो उनके साथ भी भेदभाव किया गया तथा उनके रेगुलर काम को कंट्रोल करने का प्रयास किया गया। इस संबंध में प्रेजीन ने इंफोसिस के पूर्व सीनियर वीपी व कंसल्टिंग हेड मार्क लिविंगस्टन और पूर्व भागीदारों डैन अलब्राइट व जेरी कर्ट्ज के खिलाफ मुकदमा दायर किया है।
प्रेजीन ने कहा कि कंपनी के आदेश नहीं मानने पर नौकरी से हटाया
प्रेजीन ने अदालत में कहा कि उन्हें इंफोसिस ने 58 वर्ष की उम्र में कंसल्टिंग डिवीजन में वाइस प्रेसिडेंट के रूप में हायर किया था। यहां पर उन्हें “हार्ड-टू-फाइंड एक्जीक्यूटिव” स्टाफ के रिक्रूटमेंट का काम सौंपा गया था। जिल ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रेजीन के साथ कंपनी में आयु और लिंग को लेकर भेदभाव किया गया और उन्हें गलत नीतियों को फॉलो करने के लिए निर्देश दिया गया। प्रेजीन ने अदालत में कहा कि उन्हें कंपनी में भेदभाव तथा अनावश्यक प्रेशर का सामना करना पड़ा। अंत में एक सुनियोजित प्लानिंग के तहत उन्हें कंपनी ने जॉब से निकाल दिया।
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इंफोसिस की अपील को अदालत ने किया खारिज
न्यूयॉर्क के यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने इंफोसिस की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें कंपनी ने जिल प्रेजीन द्वारा दायर किए गए मुकदमे को खारिज करने की मांग की थी। जिल ने कंपनी के प्रबंधन तथा पार्टनर्स के खिलाफ मुकदमा करते हुए उन्हें गलत तरीके से हटाने का आरोप लगाया था। प्रेजीन ने अपनी अपील में कंपनी की नीतियों के बारे में बताते हुए कंपनी के खिलाफ मुकदमा चलाने की अपील की थी।