नोएडा के ट्विन टावर का ध्वस्तीकरण तो आपने देख लिया होगा। अब आपको ट्विन टावर पार्ट 2 की स्क्रिप्ट बताते हैं। दरअसल गुरुग्राम के सेक्टर 109 चिंटेल्स पैराडिसो सोसायटी का डी-टावर भी ट्विन टावर की तरह ही ध्वस्त कर दिया जाएगा। यह प्रक्रिया अगले 2-3 महीनों में शुरू कर दी जाएगी। वहीं बिल्डिंग ढहाने के लिए पूरा प्रोसेस अगले हफ्ते से शुरू हो जएगा।
दरअसल बीती 10 फरवरी को यहां पर एक खौफनाक हादसा हुआ था यहां छठी मंजिल से एक ड्राइंग रूम भरभरा सीधे नीचे गिर गया था जिसमे दो महिलाओं की मौत हो गई थी। जिसके बाद इस मामले की जांच की गई। तत्कालीन डीटीपी की जांच के बाद इस बिल्डिंग के बिल्डर सहित 10 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इन 10 लोगों में बिल्डिंग के निदेशक, स्ट्रक्चरल इंजीनियर, बिल्डिंग का आर्किटेक्ट और ठेकेदार शामिल है। इन लोगों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला भी दर्ज किया गया है।
आईआईटी ने जारी की है रिपोर्ट
आईआईटी की रिपोर्ट के आधार पर बिल्डिंग को गिराने का आदेश पारित हो गया है। यह मामला कोर्ट में भी पेंडिंग है। लेकिन रिपोर्ट के बाद प्रशासन को पूरी आशा है कि बिल्डर को किसी भी तरह की राहत नहीं मिलने वाली। बता दें की नोएडा का ट्विन टावर जिस तरह से ध्वस्त किया गया था। बिल्कुल वही प्रक्रिया गुरुग्राम के इस बिल्डिंग को ढहाने के लिए अपनाई जाएगी।
आपको यह भी बता दें कि बिल्डिंग गिराने का यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी जा सकता है। क्योंकि बिल्डर को अगर यह लगता है कि बिल्डिंग को गिराने का यह फैसला उचित नहीं है, तो वह इसे सुप्रीम कोर्ट में ले जा सकता है। जैसा कि नोएडा के टावर मामले में हुआ था। लेकिन इस मामले में आईआईटी की रिपोर्ट सामने आई है, जो कि वैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित है। इसलिए इस रिपोर्ट को चुनौती देने से पहले भी बिल्डर को कई बार सोचना होगा, जो कि आसान नहीं है।
जिला उपायुक्त की दी जानकारी के मुताबिक लोगों को किसी भी तरह की परेशानी न हो और किसी भी तरह जानमाल को हानि न पहुंचे,इसकी पूरी तैयारी की जाएगी। लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा। साथ ही प्रदूषण में बढ़ोतरी न हो उसका भी ध्यान रखा जाएगा।
इस तरह गिराया गया नोएडा का ट्विन टॉवर
बता दे कि नोएडा का ट्विन टावर गिराने के लिए करीब 35 सौ किलो विस्फोटक का प्रयोग किया गया था। इसे 28 अगस्त की दोपहर को मात्र 9 सेकेंड में ही ध्वस्त कर दिया गया था। इसके लिए दोनों टावरों में 9800 छेद किए गए थे। हर छेद में 120 ग्राम से करीब 400 ग्राम तक विस्फोटक भरा गया था। इस ध्वस्तीकरण में 10 विशेषज्ञ की टीम ने पूरा नेतृत्व संभाला था। सबसे पहले सियान टावर में विस्फोट हुआ था जिसके बाद इसके दो 3 सेकंड बाद अपेक्स टावर में विस्फोट किया गया था। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मात्र 5-6 सेकंड के अंतराल में बिल्डिंग के सभी फ्लोर में विस्फोट कर दिया गया था। विस्फोटके बाद इन दोनों टॉवर से करीब 88000 टन मलबा निकला था।