जो चीजें कुछ समय पहले इंसानों के लिए असंभव थीं, अब टेक्नोलॉजी के कारण धीरे-धीरे संभव हो रही हैं। अब एक मशीन विकसित की गई है जो ब्लड के सैंपल में कैंसर सेल का पता लगा सकती है। इससे बायोप्सी सर्जरी की संभावना कम हो सकती है। उनिवेर्सित्य ऑफ टेक्नोलॉजी के साइंटिस्ट द्वारा बनाई गई इस डिवाइस से डॉक्टरों को ट्रीटमेंट में सहयोग मिल सकता है। यह डॉक्टरों को एक उपचार योजना बनाने में मदद कर सकती है। यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) के अनुसार 2023 में भारत में कैंसर के मामलों की अनुमानित संख्या 14,61,427 होने का अनुमान है।
नौ में से एक व्यक्ति को कैंसर की संभावना
एनआईएच के अनुसार देश में नौ में से एक व्यक्ति को कैंसर होने की संभावना होती है। एनआईएच के नेशनल कैं सर इंस्टिट्यूट के अनुसार, वर्तमान में कैंसर का उपचार तीन तरीकों से किया जाता है। इसमें लेबोरेटरी टेस्ट, इमेजिंग टेस्ट और बायोप्सी हैं। जब किसी व्यक्ति को संदेह होता है कि उसे कैंसर है, तो एक उपचार करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। इस डिवाइस का नाम ‘स्टेटिक ड्रॉपलेट माइक्रोफ्लूडिक’ है। डिवाइस तेजी से ट्यूमर सेल का पता लगा सकती है जो ट्यूमर से दूर चले गए हैं और ब्लड में प्रवेश कर चुके हैं।
एक लीटर ब्लड में एक ट्यूमर सेल
सिडनी यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के डॉ. माजिद वर्कियानी ने कहा कि कैंसर सेल्स बहुत ज्यादा ग्लूकोज का उपयोग करती हैं। अरबों ब्लड सेल्स के बीच सिर्फ एक लीटर ब्लड में एक ट्यूमर सेल हो सकती है। इससे ट्यूमर सेल्स का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। नई टेक्निक में ब्लड में 38,400 सेल्स होते हैं, जो कई एक्टिव ट्यूमर सेल को अलग करने में सक्षम होते हैं। एक बार इस मशीन से ट्यूमर सेल्स की पहचान हो जाने के बाद जेनेटिक टेस्ट किया जाता है।