देश की दिग्गज आईटी कंपनी Wipro ने हाल ही में 300 से अधिक कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इन सभी कर्मचारियों पर मून लाइटिंग का आरोप लगाया गया था। उल्लेखनीय है कि इन दिनों पूरे विश्व में मूनलाइटिंग और इसकी उपयोगिता को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इस संबंध में बोलते हुए विप्रो के प्रमुख अजीम प्रेमजी और ऋषद प्रेमजी ने भी मूनलाइटिंग को अनैतिक मानते हुए इसकी आलोचना की थी।
ये कहा था Wipro के प्रमुख ऋषद प्रेमजी ने
ऋषद प्रेमजी ने कहा था कि मूनलाइटिंग “एक्ट ऑफ इंटीग्रेटी वॉयलेशन” है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग वीकेएंड में किसी प्रोजेक्ट से जुड़ना चाहे या कोई रचनात्मक कार्य करना चाहे तो उस बारे में खुलकर बात की जा सकती है। इस मुद्दे पर कंपनी और एम्प्लाई एक साथ मिलकर किसी प्रभावी समझौते तक पहुंच सकते हैं।
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उन्होंने कहा कि परन्तु यदि कोई व्यक्ति विप्रो के लिए काम करता है और साथ ही साथ कंपनी की किसी प्रतिद्वंदी कंपनी XYZ के लिए भी काम करता है तो वह अनुचित और अनैतिक है। ऐसे व्यक्ति के लिए कंपनी में कोई जगह नहीं है और हम ऐसे लोगों को अपने यहां स्वीकार नहीं करेंगे। कंपनी में वर्तमान में लगभग 250,000 लोग काम कर रहे हैं।
गौरतलब है कि कोरोना काल में दुनिया भर की कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम काम शुरू किया था और बहुत से एम्प्लॉईज की जॉब भी छूट गई थी। ऐसे में काफी लोगों ने अपनी जॉब पर संभावित खतरे को देखते हुए और कुछ पैसा एक्स्ट्रा कमाने के लिए चुपचाप दूसरी कंपनी में पार्टटाइम या फुल टाइम काम शुरू कर दिया था। कई लोग तो एक साथ तीन कंपनियों में भी काम कर रहे थे।
Swiggy ने अपने कर्मचारियों को दी Moonlighting की अनुमति
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कुछ बड़ी कंपनियों ने भी मूनलाइटिंग को अपना सपोर्ट देते हुए कर्मचारियों को ऑफिस टाइम के बाद दूसरी कंपनी की जॉब करने की परमिशन दे दी है। उदाहरण के लिए देश के सबसे बड़े फूड होम डिलीवरी स्टार्टअप Swiggy ने गत महीने बाकायदा एक नोटिफिकेशन जारी कर अपने कर्मचारियों को मूनलाइटिंग यानि कंपनी में काम करते हुए ही किसी दूसरी कंपनी में काम करने की अनुमति दे दी थी। इसके साथ ही देश के कुछ स्टार्टअप भी अच्छे कर्मचारियों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए मूनलाइटिंग का ऑप्शन दे रहे हैं।