Rajasthan Assembly Election 2023: अलवर जिले में कुल 11 विधानसभा सीटें है। इनमें से एक रामगढ़ विधानसभा सीट है। अब तक हुए 15 विधानसभा चुनावों में इस सीट पर 6 बार त्रिकोणीय मुकाबला हुआ है। वर्तमान में इस सीट से कांग्रेस की साफिया खान विधायक है। आइए जानते है इस सीट के इतिहास और समीकरण के बारें में…
रामगढ़ सीट का इतिहास
रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 1951 से 1985 तक कांग्रेस के पास रहा, वहीं, पिछले 35 सालों से यह सीट कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस के खाते में जाती नजर आई है। इस सीट से सबसे ज्यादा जीत का रिकॉर्ड कांग्रेस के जुबेर खान और बीजेपी के ज्ञान देव आहूजा के नाम है। दोनों नेताओं ने इस सीट से तीन-तीन बार जीत हासिल कर चुके है। 1990 में जुबेर खान पहली बार जीते थे। इसके बाद वह 1993 और 2003 में भी विधायक चुने गए। जबकि, ज्ञान देव आहूजा 1998 में पहली बार इस सीट से जीतने में कामयाब रहे। इसके बाद ज्ञान देव आहूजा 2008 से 2018 तक लगातार 10 साल तक यहां से विधायक रहे।
रामगढ़ में क्या है जातीय समीकरण
रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी जहां कट्टर हिंदूवादी चेहरे को चुनाव मैदान में उतारती नजर आई है। वहीं, कांग्रेस पिछले 35 सालों से मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारती रही है। इस चुनाव में इस सीट पर करीब 4.50 लाख वोटर हैं, जबकि मेव मुसलमानों की संख्या सबसे ज्यादा है। इसके बाद यहां दलित मतदाताओं की भी अच्छी संख्या है। इसके अलावा यहां पुरुषार्थी समाज और राजपूत, जाट, ब्राह्मण, वैश्य, प्रजापत और गुर्जर मतदाताओं का भी प्रभाव है।
कौन कर रहा कांग्रेस से दावेदारी
2023 के विधानसभा चुनाव में जहां पति-पत्नी यानी जुबेर खान और सफिया खान कांग्रेस से टिकट मांग रहे हैं। इनके साथ ही कांग्रेस से राजेंद्र गन्डुरा, नसरू खान, जाकिर हुसैन, लियाकत खान, जुम्मा खान, हरिशंकर रावत, वीर सिंह नापा, रामेश्वर सैनी, रहीमुद्दीन खान अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं। इस सीट को लेकर जानकारों का कहना है कि इस बार मेवात विकास बोर्ड के चेयरमैन जुबेर खान को कांग्रेस टिकट देकर मैदान में उतार सकती है।
बीजेपी से दावेदारी करने वालों में इनका नाम शामिल
ज्ञान देव आहूजा एक बार फिर बीजेपी से टिकट मांग रहे हैं। इसी सीट से ज्ञान देव आहूजा के भतीजे जय आहूजा ने भी टिकट के लिए दावा ठोका है। साथ ही बीजेपी से सुखवंत सिंह, निर्मल सूर, सहदेव सिंह और देवेंद्र दत्त समेत कुल 55 दावेदार सामने आ रहे हैं। इस सीट पर पानी और अवैध खनन जैसे मुद्दे भी हावी हैं।