वॉशिंगटन। खगोलविदों को स्पेस में एक अनोखी जोड़ी मिली है। एक खगोलीय पिंड की खोज हुई है, जिसकी ऑर्बिट एक युवा तारे का चक्कर लगा रहे बृहस्पति जैसे एक ग्रह के समान है। शोधकर्ताओं ने इसकी जांच के लिए दक्षिण अमेरिकी देश चिली के अटाकामा लार्ज मिलीमीटर/सब मिलिमीटर ऐरे ऑफ टेलीस्कोप (अल्मा) का इस्तेमाल किया।
वैज्ञानिक इन तस्वीरों को इस बात का सबसेपुख्ता सबूत मान रहे हैं कि दो एक्सोप्लैनेट की ऑर्बिट एक हो सकती है। बृहस्पति जैसे दो ग्रह, जिन्हें पीडीएस 70बी और पीडीएस 70सी के नाम से जाना जाता है, पहले से ही तारे की परिक्रमा कर रहे हैं, लेकिन खगोलविदों नेपीडीएस 70बी की ऑर्बिट के भीतर मलबे के एक बादल का भी पता लगाया है। ये संभवतः एक नए ग्रह के निर्माण खंड हो सकते हैं जो सक्रिय रूप सेबन रहा है या पहले ही बन चुका है।
क्या होते हैं ट्रोजन!
मैड्रिड के सेंटर फॉर एस्ट्रोबायोलॉजी में खगोल भौतिकी के पोस्टडॉक्टरल छात्र और अध्ययन के प्रमुख लेखक ओल्गा बाल्सालोब्रे-रूजा ने एक बयान में कहा, ‘दो दशक पहले थ्योरी में यह भविष्यवाणी की गई थी कि समान द्रव्यमान वाले दो ग्रह अपने तारे के चारों ओर समान कक्षा साझा करते हैं। इन्हें ट्रोजन या को-ऑर्बिटल प्लैनेट कहा जाता है।’ ट्रोजन ऐसे चट्टानी पिंड होते हैं, जिनकी कक्षा ग्रहों के समान होती है।
बृहस्पति की कक्षा में इतने ट्रोजन
12,000 से अधिक ट्रोजन ऐस्टरॉइड बृहस्पति की कक्षा में मौजूद हैं। अक्टूबर 2021 में लॉन्च किया गया नासा का लकी मिशन पहली बार देखे गए इन ऐस्टरॉइड् स का करीब से अध्ययन करने वाला पहला मिशन होगा। हालांकि हमारे सौर मंडल से परे ट्रोजन के सबूत काफी दुर्लभ हैं। नई खोज ने शोधकर्ताओं को यह सवाल करने पर मजबूर कर दिया है कि ट्रोजन कै से बनते और विकसित होते हैं और अन्य ग्रह प्रणालियों में इनकी संख्या कितनी हो सकती है?
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