लगातार तीन साल तक अधिक वायु प्रदूषण वाले इलाके में रहने से फेफड़ों का कैंसर की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। यह खुलासा 33 हजार लोगों पर की गई स्टडी के बाद किया गया है। इनके फेफड़ों में बेहद बारीक प्रदूषणकारी कण पाए गए। इनकी वजह से एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर (ईएफजीआर) आधारित कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है। रिसर्चर चार्ल्स स्वैंटन कहते हैं कि जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है, हमारे शरीर में कैंसर को बढ़ाने वाली कोशिकाएं बढ़ती जाती है, लेकिन आमतौर पर यह सक्रिय नहीं रहतीं। वायु प्रदूषण इन कोशिकाओं को सक्रिय कर देते हैं।
प्रदूषित वायु से कैंसर कोशिकाएं होती सक्रिय
फेफड़ों के कैंसर की प्रमुख वजह वायु प्रदूषण ही है। दुनुिया को इसे रोकने का प्रयास करना चाहिए। सबसे ज्यादा नुकसान करते हैं पर्टिकुलेट मैटर (पीएम)। इनसे धरती का कोई भी हिस्सा नहीं बचा है। इनकी वजह से हर साल 80 लाख लोगों की मौत होती है। सबसे ज्यादा खतरा होता है पीएम 2.5 से। स्टडी के अनुसार तीन साल तक ज्यादा पीएम 2.5 कणों वाले इलाके में रहने से कैंसर होने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।
जो सिगरेट नहीं पीते उन्हें भी खतरा
पीएम 2.5 के एक्सपोजर की वजह से ईएफजीआर-म्यूटेंट लंग कैंसर के केस बढ़ते जा रहे हैं। इसके बाद यूके बैंक में रखे चार लाख से ज्यादा लोगों के डेटा का भी एनालिसिस किया गया। उसमें भी यही बात सामने आई। कनाडा के उच्च वायु प्रदूषण वाले इलाके में रहने 228 नॉन-स्मोकर यानी धूम्रपान नहीं करने वाले लोगों के फे फड़ों की जांच से पता चला कि पीएम 2.5 की वजह से उनमें कैंसर होने की आशंका 40 से बढ़कर 73 फीसदी हो गई है।
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