(मनीष गोधा) जयपुर। आपसी अंतर्कलह से जूझ रही प्रदेश कांग्रेस के नेता हैं कि मानते ही नहीं। प्रभारी आते हैं, चेतावनी देते हैं, लेकिन नेताओं पर कोई असर नजर नहीं आता। एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी बदस्तूर जारी रहती है। बयानबाजी पर लगाम लगाने के मामले में पार्टी का एक भी प्रभारी कामयाब नहीं हो पाया है। कांग्रेस में अंतर्कलह की स्थिति पिछले चार-पांच साल से जारी है और इसके प्रमाण हैं पार्टी के नेताओं के बयान। पार्टी के नेता, विधायक और सरकार के मंत्र तक अपने ही नेताओं को निशाने बनाने से नहीं चूकते। इस मामले में पार्टी में ना किसी तरह का शासन दिखता है और ना ही अनुशासन। ऐसा लगता है कि सब अपनी ही मर्जी से चलते हैं।
अपने बयानों को लेकर यह नेता रहते हैं चर्चाओं में
प्रदेश की गहलोत सरकार और कांग्रेस नेतृत्व को लेकर पार्टी के विधायक लगातार बयानबाजी करते रहते हैं। इनमें मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा, प्रताप सिंह खाचरियावास, विधायक दिव्या मदेरणा, वेदप्रकाश सोलंकी, भरतसिंह, हरीश चौधरी ऐसे नेता हैं, जो लगातार कांग्रेस सरकार और संगठन को लेकर बयानबाजी करते रहते हैं।
बयानबाजी पर लगाम लगाने की प्रमुख जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष, प्रभारी की
पार्टी में इस तरह की बयानबाजी पर लगाम लगाने की मुख्य जिम्मेदारी पार्टी के प्रभारियों और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की है, लेकिन इस मामले में सभी फे ल नजर आते हैं। पिछले पांच-छह साल में कांग्रेस आलाकमान ने यहां अविनाश पाण्डे, अजय माकन और सुखजिंदर सिंह रंधावा को प्रभारी बना कर भेजा है, लेकिन तीनों ही इस मामले में फे ल साबित हुए हैं। स्थिति यहां तक देखने में आती है कि इधर प्रभारी बयानबाजी पर कड़ा रुख अपनाने की बात करते हैं और उसके तुरंत बाद ही किसी नेता का पार्टी विरोधरी बयाान आ जाता है। इस बार भी ऐसा ही कुछ हुआ। कुछ दिन पहले ही प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा था पार्टी विरोधी बयानबाजी बर्दाश्त नहीं होगी, लेकिन इसके तुरंत बाद ही विधायक अमीन कागजी मंत्री शांति धारीवाल को निशाना बनाते नजर आए और अब पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अपनी सरकार के खिलाफ अनशन की घोषणा कर दी।
भारत जोड़ो में दिखी थी एकजुटता
पार्टी में बयानबाजी के मामले में अनुशासनहीनता की स्थिति लम्बे समय से दिख रही है। इस पर रोक सिर्फ तब दिखी जब राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा लेकर राजस्थान आए थे। उनके निकलते ही एक बार फिर ढाक के तीन पात जैसी स्थिति हो गई। इस स्थिति का कारण यह है कि पार्टी ने ऐसी बयानबाजी के मामलों में आज तक कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की। अब चुनावी साल में भी ऐसा ही चलता दिख रहा है। अब देखना यह है कि पार्टी में अनुशासनहीनता की यह स्थिति क्या परिणाम लाती है।