केंद्र सरकार ने राज्यसभा के लिए दक्षिण भारत से संबंधित 4 लोगों को मनोनीत किया है। ये चारों लोग भारत में ही नहीं विदेशों में भी ख्याति बटोर चुके हैं औऱ विश्व प्रसिद्ध हैं। वहीं भाजपा के इस कदम को उसके ‘मिशन साउथ’ के तौर पर भी देखा जा रहा है। क्योंकि हाल ही में हैदराबाद में हुई भाजपा की कार्यकारिणी बैठक में भी इस ‘मिशन’ को धार देने की कोशिश की गई थी।
इन 4 लोगों को राज्यसभा के लिए मनोनीत
केंद्र ने विश्व प्रसिद्ध पूर्व एथलीट पी.टी. उषा, संगीतकार इलैयाराजा, जैन समुदाय की हस्ती वीरेंद्र हेगड़े और फिल्म लेखक के.वी. विजयेंद्र को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। बता दें कि पी.टी. उषा केरल से हैं। इलैयाराजा तमिलनाडू से संबंधित हैं। वीरेंद्र हेगड़े कर्नाटक के प्रसिद्ध धर्मस्थल के प्रमुख हैं। वहीं के.वी. विजयेंद्र आंध्र प्रदेश से संबंधित हैं। उन्होंने बाहुबली, RRR, बजरंगी भाईजान जैसी फिल्में लिखी हैं। ये सारे लोग अपने-अपने क्षेत्र में बेहद सफल रहे हैं।
सांसदों के सहारे दक्षिण में पार लगेगी भाजपा की नैया!
राज्यसभा के लिए इन चारों को दक्षिण भारत से लिया गया है। यहां यह समझने की जरूरत है कि आखिर क्यों बाजपा दक्षिण को इतनी तवज्जो दे रही है। अभी हाल ही में हैदराबाद में भाजपा की कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक हुई थी। जिसमें प्रधानमंत्री के साथ पूरी पार्टी ने अपना शक्ति प्रदर्शन किया था। यहां तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इस बार तेलंगाना से TRS को उखाड़ फेंकना है। दरअसल दक्षिण के 5 राज्यों कर्नाटक, तमिलनाडू, आंध्र प्रदेश, केरल, तेलंगाना में लोकसभा की 129 सीटें हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को इसमें करारी शिकस्त मिली थी। उसके खाते में सिर्फ 30 सीटें ही आईं थीं। वो भी 26 सीटें तो सिर्फ कर्नाटक से थीं। जिससे पता चलता है कि भाजपा के लाख कोशिश करने के बाद भी वह दक्षिण में पांव जमाना तो दूर..टिक भी नहीं पा रही है। इसलिए 2024 के चुनाव में भाजपा इस स्थिति को ठीक करना चाहती है। जिसकी शुरुआत उसने हैदराबाद में हुई कार्यकारिणी बैठक से कर भी दी।
दक्षिण के अभेध किले भेदने पर भाजपा का निशाना
देश की आजादी के बाद से लेकर आजतक दक्षिण के किसी भी राज्य में भाजपा की सरकार नहीं बनी है इसका एक कारण यह भी है कि भाजपा का शुरूआत से ही हिंदी पट्टी के राज्यों को तरफ झुकाव ज्यादा रहा है, और दक्षिण के हिंदी पट्टी से संबंध से सभी वाकिफ हैं। इसलिए भाजपा के लिए दक्षिणी किलों पर निशाना लगाना जरा मुश्किल होता है। कर्नाटक को छोड़कर कहीं भी उसका विधायक नहीं है। हालांकि अगर तमिलनाडु की बात करें तो दिवंगत जयललिता की AIADMK को भाजपा का समर्थन प्राप्त था। जिससे वहां की सरकार में भाजपा के कुछ विधायक थे। लेकिन तमिलनाडु से AIADMK के जाने के बाद वहां DMK की सरकार बनीं। और M.K. स्टालिन वहां के मुख्यमंत्री बने। जिसके बाद से दक्षिण में भाजपा विधायकों का सूखा पड़ा हुआ है। जिसके लिए अब भाजपा अपनी रणनीति पर काम कर रही है।
दक्षिण में मिशन साउथ से पैठ बनाने में जुटी भाजपा
केंद्रीय गृह मंत्री जब भाजपा के राष्ट्रीय़ अध्यक्ष थे। तब उन्होंने मिशन साउथ की रणनीति तैयार की थी। इसके बाद जेपी नड्डा अब राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए हैं। अब वे अमित शाह के शुरू किए गए इस मिशन को अमलीजामा पहनाने के लिए तैयार हो रहे हैं। इस मिशन की महत्ता इसी से पता चल जाता है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह इसे लीड कर रहे हैं। यानी तस्वीर तो साफ है कि हैदराबाद में हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्य़कारिणी बैठक से भाजपा ने दक्षिण के किले भेदने का बिगुल फूंक दिया है।
2023 में हैं तेलंगाना और कर्नाटक में विधानसभा चुनाव
भाजपा ने अब तक सिर्फ कर्नाटक में सरकार बनाई है। बाकि किसी राज्य में उसका एक विधायक तक नहीं है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां की 17 सीटों में से सिर्फ 4 सीटें जीती थीं। तो अब उसका मकसद सबसे पहले तेलंगाना में अपनी नैया को पार लगाना है। जिसके बाद वह आगे के राज्यों के चुनाव की तरफ बढ़ेगी। राज्यसभा में इन 4 दक्षिण भारतीयों को मनोनीत करने से वे सभी अपने-अपने राज्य का प्रतिनिधित्व कर पाएंगे और भाजपा इसे वोटों में बदलना चाहेगी। संगीतकार इलैयाराजा से भाजपा तमिलनाडू को, पी टी उषा से केरल को, हेगड़े से कर्नाटक को तो विजयेंद्र प्रसाद से आंध्र प्रदेश को साधेगी।