लीमा। वैज्ञानिकों ने पेरू में एक विशाल डॉल्फिन की खोपड़ी का जीवाश्म खोजा है। माना जाता है कि यह प्रजाति 1.6 करोड़ साल पुरानी है। पेरू की अमेजोनियन नदियों में इसने शरण ली थी। इस विलुप्त प्रजाति की लंबाई 3.5 मीटर तक होती, जिससे यह अब तक पाई गई सबसे बड़ी नदी डॉल्फिन बन जाती है। साइंस एडवांसेज में इससे जुड़ा एक शोध प्रकाशित हुआ है। शोध के मुख्य लेखक के मुताबिक इस नई प्रजाति का नाम पेबनिस्टा याकुरुना है।
यह दुनिया भर में नदी डॉल्फिन के लिए बढ़ते खतरों को दिखाती है। इस शोध में कहा गया है कि डॉल्फिन के अगले 20 से 40 वर्षों में इसी तरह विलुप्त होने का खतरा है। लीड लेखक एल्डो बेनिट्स-पालोमिनो ने कहा कि यह डॉल्फिन के प्लैटैनिस्टोइडिया परिवार से संबंधित है। यह 2.4 करोड़ से 1.6 करोड़ साल पहले महासागरों में पाई जाती थीं। उन्होंने कहा, ‘माना जाता है कि ऐसी मछलियों ने नए भोजन की तलाश में महासागर छोड़ दिया था। नदिया एक सुरक्षित पनाह देती हैं।’ इस डॉल्फिन का जीवाश्म 2018 में खोजा गया है।
यह खबर भी पढ़ें:-12 हजार साल पुराना मस्तिष्क मिला, कभी खराब नहीं होता इंसानी ब्रेन?
गंगा की डॉल्फिन से है संबंध
शोधकर्ताओं के मुताबिक हमें एक ऐसा जानवर मिला जिसका सबसे करीबी रिश्तेदार 16900 किमी दूर दक्षिण-पूर्वी एशिया में है। बेनिट्स-पालोमिनो ने कहा यह जीवाश्म अपने आकार और नदी डॉल्फिन दोनों के लिए उल्लेखनीय है। क्योंकि इसका उस नदी डॉल्फिन से कोई संबंध नहीं है जो आज स्थानीय इलाके में रहती हैं। इसकी सबसे करीबी रिश्तेदार गंगा और सिंधु नदियों में तैरती हैं। हालांकि आज के समय यह विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी हैं।
घूमते हुए मिला डॉल्फिन का जीवाश्म
एल्डो बेनिट्स-पालोमिनो का कहना है कि वह ज्यूरिख यूनिवर्सिटी में जीवाश्म विभाग में डॉक्टरेट की उपाधि पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि महामारी के कारण शोध पत्र में देरी हुई। अपने एक सहकर्मी के साथ चलते हुए उन्हें जीवाश्म के जबड़े का हिस्सा देखा। उन्होंने कहा, ‘मैंने दांतों को जैसे ही देखा तो मैं चिल्लाया, यह एक डॉल्फिन है। हमें इस पर विश्वास नहीं हुआ।’ उन्होंने कहा, ‘हमें बाद में पता चला कि अमेजन नदी की गुलाबी डॉल्फिन से इसका कोई संबंध नहीं।’
यह खबर भी पढ़ें:-अंतरिक्ष में टली दोनों के सैटेलाइट की टक्कर, टकराने से बाल-बाल बचे रूस-अमेरिका