बेंगलुरू। अगले साल अमेरिका एक भारतीय एस्ट्रोनॉट को अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन भेजने वाला है। इसके लिए वह इसरो द्वारा चुने गए एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष यात्रा और स्पेस स्टेशन में काम की ट्रेनिंग भी देगा। यह बात नासा के प्रमुख बिल नेल्सन ने पूर्व भारतीय एस्ट्रोनॉट राकेश शर्मा से मुलाकात के दौरान बेंगलुरू में कही। बिल ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच स्पेस इंडस्ट्री को लेकर कई बड़े समझौते हो रहे हैं। हम आपस में साइंस को शेयर करते हैं। बिल नेल्सन (नासा- इसरो-सार) निसार सैटेलाइट की जांच-पड़ताल के लिए बेंगलुरू गए हुए थे।
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निसार सैटेलाइट को धरती की निचली कक्षा में तैनात किया जाएगा। एक एसयूवी के आकार का यह सैटेलाइट अगले साल की पहली तिमाही में लॉन्च किए जाने की संभावना है। निसार पूरी धरती का हर 12 दिन में एक बार नक्शा बनाएगा। इसमें वह बर्फ की लेयर, ग्लेशियर, जंगल, समंदर का जलस्तर, भूजल, प्राकृतिक आपदाएं जैसे- भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी विस्फोट और भूस्खलन की जानकारी देगा।
चंद्रयान-3 से चमका भारत
भारत ने अगस्त में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक चंद्रयान-3 की लैंडिंग कराकर दुनिया भर में नाम कमाया। जबकि, रूस का लूना-25 लैंडर दक्षिणी ध्रुव के पास ही क्रैश कर गया। इसके बाद से पूरी दुनिया में भारत की स्स इंड पे स्ट्री की मांग काफी ज्यादा बढ़ गई है। चंद्रमा के फार साइड पर साल 2019 में ही चीन सॉफ्ट लैंडिंग करा चुका है। उसके पास अब भी कई मिशन हैं, जो चांद पर भेजे जाएंगे। चीन ने 2022 में अपने स्स पे मिशन प्रोग्राम्स पर 12 बिलियन डॉलर्स खर्चकर चुका है। यानी 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा। अमेरिका 2025 तक अर्मिटे स मून प्रोग्राम पर 7.75 लाख करोड़ रुपए खर्चकरने वाला है।
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