Hiroshima Day : आज हिरोशिमा दिवस है। 6 अगस्त 1947 के दिन अमेरिका ( America ) ने जापान के हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम से हमला किया था। इस हमले में हिरोशिमा ( Hiroshima ) पूरी तरह तबाह हो गया था। इस हमले में एक लाख चालीस हजार लोग मारे गए थे। सबसे दिल दहलाने वाली बात यह है कि इस त्रासदी में 6 से 11 साल के लगभग 80 प्रतिशत बच्चे शामिल थे। हिरोशिमा में एक भी इमारत नहीं बची थी। सब कुछ राख के ढेर में तब्दील हो चुका था। चारों तरफ तबाही का वो मंजर था। जिसे सिर्फ देखने के लिए ही मजबूत दिल चाहिए। हिरोशिमा दिवस के अवसर पर हम आपको वो कारण बताएंगे जिससे विश्व के इतिहास के काले पन्नों में यह त्रासदी राख के अक्षरों में अंकित है।
क्यों अमेरिका ने किया था हमला
दरअसल जापान अगस्त 1945 में दूसरा विश्व युद्ध ( Second World War ) हार चुका था। लेकिन जापान ने अमेरिका के सामने सरेंडर नहीं किया था। वह अपने वजूद की लड़ाई के लिए युद्ध फिर भी लड़ रहा था। इधर अमेरिका अपने परमाणु बमों के परीक्षण के लिेए कार्य कर रहा था। उस वक्त अमेरिका के राष्ट्रपति रहे हैरी एस ट्रूमन को परमाणु ने इसे विश्व का सबसे खतरनाक परमाणु बम करार दिया था। उन्होंने ही इस दूसरे विश्वयुद्ध को समाप्त करने औऱ जापान ( Japan ) को झुकाने के लिए जापान पर परमाणु बम ( Nuclear Attack ) से हमला करने का फैसला लिया था।
सुबह-सुबह हुआ हमला, बारूद के धुएं के आगोश में समाया हिरोशिमा
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमन और उनके सलाहकारों ने जापान के घनी आबादी वाले शहरों पर बम गिराने की चर्चा हुई थी। वो इसलिए कि बड़ी आबादी के बीच बम गिराने से नुकसान उतना ही बड़ा होता। जिससे जापान अमेरिका के सामने सरेंडर कर देगा। जिसके बाद अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम से हमला करने का निश्चय कर लिया।
अमेरिका ( America ) ने 6 अगस्त 1945 की सुबह 8 बजे बी 29 एनोला गे से लिटिल बॉय नामक परमाणु बम ( Nuclear Bom ) गिराया था। सुबह-सुबह के इस वक्त पर लोग अपने दफ्तरों को जाने की तैयारी कर रहे थे। कोई निकल गया था तो बच्चे स्कूल जाने के लिए तैयार हो रहे थे। मांएं अपने बच्चों को तैयार कर रहीं थीं उनके लिए नाश्ता तैयार कर रहीं थीं, लेकिन एक ही झटके में सब कुछ बिखर गया। हंसता-खेलता हुआ शहर एक धमाके में राख के ढेर में तब्दील हो गया। हर जगह टुकड़ों में शव बिखरे हुए थे। सुबह-सुबह की धूप की रोशनी बारूद के अंधेरे में समा गई। इस बम के हमले से ढाई किलोमीटर की रेंज में आया इलाका तुरंत तबाह हो गया था। इससे हजारों लोगों की मौत तो तुरंत ही हो गई थी।
हिरोशिमा के 3 दिन बाद नागासाकी पर हमला
हिरोशिमा ( Hiroshima Nuclear ) पर हुए हमले की सिसकियां अभी बंद भी नहीं हुई थीं कि इसके तीन दिन बाद ही अमेरिका ने जापान के ही नागासाकी शहर पर दूसरा परमाणु हमला कर दिया था। इस परमाणु बम का नाम ‘फेटमैन’ था। इसका वजन साढ़े 4 हजार किलो था। यह बम 6.4 किलो विस्फोटक तत्व प्लूटोनियम से भरा था। जो यूरेनियम से भी ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इस हमले में लगभग 70 हजार लोग तुरंत मारे गए थे। दोनों शहरों को मिलाकर कुल मौतों का आंकड़ा करीब 3 लाख तक पहुंच गया था। वहीं इस हमले की त्रासदी कई सालों तक लोगों औऱ उनके आगे की पीढ़ियों को भुगतनी पड़ी थी। परमाणु बम के विस्फोट से जुड़े रेडिएशन के कारण कई सालों तक लोगों और पैदा होने वाले बच्चों ने अपंगता का दंश झेला था।
भयानक त्रासदी के बाद सुपरपॉवर बना जापान
परमाणु हमले जैसे भयानक त्रासदी का देश झेल रहे जापान को संभालने वाला भी कोई नहीं था। लेकिन जापान के लोगों ने अपनी मेहनत से देश को विश्व के पहले पायदान पर लाकर खड़ा कर दिया। आज जापान दुनिया का सबसे विकसित देश माना जाता है। परमाणु बम से तबाह हुए जापान ने तकनीक को अपना हथियार बनाया। उसने इस क्षेत्र में रूस जैसे देश को भी पछाड़ दिया है। यहां के मेहनतकश लोगों ने दफ्तरों में ओवरटाइम लगा कर काम किया। नई-नई तकनीकों को उसने अपने देश में ही ईजाद किया, जिसका आज भी कोई सानी नहीं है। इन सबके बल पर जापान दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है।