वॉशिंगटन। वैज्ञानिकों की दिलचस्पी चंद्रमा के बाद सर्वाधिक मंगल ग्रह में है। विभिन्न खोजों में मिले नए साक्ष्यों से पता चलता है कि रेड प्लैनेट पर भी कभी पृथ्वी जैसे मौसम रहे होंगे, जो इस ग्रह पर जीवन के इतिहास की ओर इशारा करते हैं। शोध से पता चला है कि मंगल ग्रह पर कभी पृथ्वी के समान ‘नमी और सूखा’ मौसम रहा होगा। लब्बो लुबाब यह कि तीन अरब साल से भी पहले मंगल पर चक्रीय जलवायु थी। सूखे और नमी वाले मौसम ने जटिल प्राचीन कार्बनिक यौगिकों के निर्माण के लिए आदर्शपरिस्थितियां पैदा की होंगी जिन्होंने जीवन के अग्रदूत के रूप में काम किया। शोधकर्ताओं ने कहा कि पृथ्वी के विपरीत, मंगल ग्रह पर अरबों साल पुरानी जीवाश्म नदियों और झीलों का अच्छी तरह से संरक्षित क्षेत्र है।
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मंगल पर थी पानी की मौजूदगी
प्रमाण गवाही देते हैं कि लाल ग्रह वर्तमान में ठं डा और दुर्गम होने के बावजूद मंगल पर कभी तरल पानी मौजूद था। पानी की मौजूदगी घने और समृद्ध जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। अरबों वर्षों में, ग्रह ने अपना ज्यादातर वायुमंडल खो दिया है, जिससे उसकी जलवायु ‘जीवन का समर्थन’ करने वाली जलवायु से वर्तमान शुष्क और जमे हुए वातावरण में बदल गई।
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वहां पहुंचना नहीं आसान
नासा, चीन, यूएई जैसे कई देश मंगल पर अपने मिशन भेज चुके हैं। ये देश वहां जीवन के पुख्ता सबूत खोजने में जुटे हैं। स्पेस एजेंसियां चंद्रमा पर एक बेस बनाकर अंतरिक्ष में स्थाई मौजूदगी दर्ज करवाना चाहती हैं। वे इसका इस्तेमाल मंगल पर जाने के लिए लॉन्चिंग पैड के रूप में करना चाहती हैं। चंद्रमा की तुलना में मंगल धरती से काफी दूर है, जिस वजह से इस पर पहुंचना
आसान नहीं है। पृथ्वी और मंगल की दूरी 363.34 मिलियन किमी है।