वॉशिंगटन। चंद्रयान-3 की कामयाबी के बाद अब इसरो भारत चंद्रयान-4 की तैयारी कर रहा है, लेकिन इस बार भारत अकेला नहीं, जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जाक्सा) के साथ मिल कर लॉन्चिंग करेगा। चंद्रयान-4 मिशन के 2026 में लॉन्च होने की उम्मीद है। यह मिशन लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन (ल्यूपेक्स) मिशन के नाम से जाना जाएगा। चंद्रयान-3 की कामयाबी के आधार पर चंद्रयान-4 बनेगा। चंद्रयान-3 के लैंडर का पेलोड चांद का तापमान, थर्मल कंडक्टिविटी, भूकंप की जानकारी इकट्ठा कर रहा है। वहीं, रोवर चांद की मिट्टी में मौजूद तत्वों का पता लगा रहा है। कई मायनों में चंद्रयान-3 भविष्य के मिशन के रास्ते खोल रहा है।
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पानी की खोज और गुणवत्ता निर्धारण करेंगे
मनुष्यों के लिए पानी बेहद जरूरी तत्व है। ल्यूपेक्स मिशन पानी की उपस्थिति और उसके इस्तेमाल के लिए चंद्रमा के ध्रुवीय इलाकों का आकलन करेगा। इस मिशन के जरिए चांद पर मौजूद पानी की वास्तविक मात्रा और गुणवत्ता निर्धारित करने का प्रयास किया जाएगा। इसके आधार पर यह तय किया जा सकता है कि भविष्य में चांद पर बनने वाली कॉलोनियों को पृथ्वी से कितना पानी ले जाना पड़ेगा और कितना वहां प्राप्त किया जा सकता है।
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रोवर 1.5 मीटर ड्रिल से होगा लैस
साल 2019 में जाक्सा के रियो हिरासावा ने कहा कि जापान रॉकेट और रोवर बनाएगा। वहीं, भारत लैंडर नाएगा। यह मिशन छह महीने तक चलेगा और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में जहां तक सूर्य की रोशनी पहुंचती है, वहां ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह मिशन बर्फ के इस्तेमाल से रॉकेट ईंधन बनाने की क्षमता से जुड़ी जांच करेगा। चंद्रयान 4 का रोवर 1.5 मीटर ड्रिल से लैस होगा जो चंद्रमा के चट्टानों की जांच करेगा। यह चंद्रमा की चट्टानों को गर्म करके उसमें वाष्पित होने वाले तत्वों की जांच करेगा।