Bangladesh Crisis : बांग्लादेश की जनता सड़कों पर उतर आई है। ईंधन की आसमान छूती कीमतों के खिलाफ जनता ‘प्रदर्शनकारी’ बन गई है। लोग हिंसा पर उतर आए हैं। बांग्लादेश में मंदी इस कदर छा गई है कि वहां पर शेख हसीना सरकार ने पेट्रोल के दामों में 51.7 फीसदी की बढ़ोतरी की है। औऱ डीजल 49 प्रतिशत महंगा कर दिया है। जिससे वहां की आम जनता का गुस्सा फूट गया है और वह ,सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन और हिंसा कर रही है। वे अब इनके बढ़े हुए दामों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
बांग्लादेश में मंदी का आलम यह है कि IMF यानी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने देश को 1 बिलियन डॉलर तक आर्थिक राहत पैकेज देने की हामी भरी है। लेकिन हसीना ने ज्यादा रकम की मांग की थी। जिसे IMF ने देने से मना कर दिया है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 4-5 महीनों के लिए ही बचा है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस मंदी के पीछे रूस-यूक्रेन को वजह करार दिया है।
मंदी के पीछे क्या रही वजह
बांग्लादेश जैसे विकासशील देश में आर्थिक मंदी आने से वहां की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक बाजार में बांग्लादेश के कपड़े की मांग में कफी कमी आ गई है। बताते चलें कि बांग्लादेश की अर्थव्सवस्था में सबसे बडा़ योगदान वहां के कपड़ा निर्यात के व्यवसाय का है। पूरे विश्व में बांग्लादेश का कपड़े की जबरदस्त मांग रहती है। ऐसे में रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से कारोबार में गहरा असर पड़ा है। जो बांग्लादेश में आई मंदी का एक मुख्य कारण माना जा रहा है।
इसके अलावा बांग्लादेश का पर्यटन कारोबार भी वहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। लेकिन कोरोना के चलते पर्यटन भी दो-तीन सालों से मंदी झेल रहा है। जिससे देश के राजस्व को काफी नुकसान हुआ है। बता दें कि बांग्लादेश में महंगाई दर 7.56 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। जो पिछले 9 सालों में सबसे ज्यादा था। ईंधन में कमी के चलते शेख हसीना की सरकार ने डीजल से चलने वाले बिजली घरों को बंद कर दिया है। जिससे ईंधन के बाद अब देश में बिजली की भी कमी से जनता दो चोर हो रही है। चारों तरफ से मंदी की मार झेल रहे बांग्लादेश के पास राजस्व बढ़ाने के लिए ईंधन महंगा करने के अलावा हाल फिलहाल कोई और उपाय नहीं सूझा। लेकिन अब ईंधन में आई इस बेतहाशा बढ़ोतरी से वहां की जनता सड़कों पर प्रदर्शन करने के लिए उतर गई है।