जैसलमेर। देश में इन दिनों चैत्र नवरात्रे चल रहे हैं। नवरात्रि पर भारत के हर मंदिर में विभिन्न प्रकार के आयोजन होते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। यहां मंदिर में विराजमान हर देवी की अपनी अलग खासियत हैं। यहां कई सारे ऐसे मंदिर हैं, जो अपनी सुंदरता, रोचकता और ऐतिहासिकता के लिए जानी जाती हैं। उन्हीं में से एक तनोट माता का मंदिर भी है।
आपने अक्सर देखा होगा कि मंदिरों में पुजारी ही उनकी पूजा व आरती करते हैं, लेकिन भारत में एक ऐसा मंदिर भी है, जो अपने अनोखेपन के लिए जाना जाता है। ये मंदिर राजस्थान के जैसलमेर जिले में है। जैसलमेर के तनोट माता मंदिर में पूजा करने के लिए एक भी पुजारी नहीं है। इस मंदिर में पूजा-अर्चना से लेकर सारे कामकाज पुजारी नहीं बल्कि सेना के जवान संभालते हैं।
जैसलमेर जिले में पाकिस्तान बॉर्डर के पास स्थित तनोट माता के मंदिर में इन दिनों चल रहे नवरात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालू पहुंच रहे है। बता दें कि तनोट माता सेना के जवानों की आराध्य देवी हैं। रखरखाव व आरती से लेकर मंदिर की सम्पूर्ण जिम्मेदारी बीएसएफ के जवान संभालते है। बीएसएफ के जवानों को आरती करते देख अलग ही अनुभूति होती है। इन जवानों के साथ श्रद्धालु में झूमते हुए आरती गाना शुरू कर देते है।
मंदिर को लेकर काफी मान्यता है। नवरात्रि में इस मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ भी देखी जाती है। इस मंदिर में काफी श्रद्धालु मन्नत मांगकर एक रुमाल में कुछ रुपए बांधते हैं और रुमाल यहां रख जाते हैं। इसके बाद जब मन्नत पूरी हो जाती है तो भक्त देवी दर्शन के लिए आते हैं और रुमाल में रखे रुपए यहां चढ़ा देते हैं।
साल 1965 में हुआ था चमत्कार…
इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि माताजी ने बहुत बड़ा चमत्कार किया था। साल 17 नवंबर 1965 की बात है। जब भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ था। युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना की ओर से माता मंदिर के क्षेत्र में 400 से ज्यादा बम गिराए थे। पाकिस्तानी सेना की ओर से गिराए बम भी मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सके। मंदिर की इमारत वैसी की वैसी रही। जिसके बाद से आज तक तनोट माता मंदिर परिसर में पाकिस्तान के कई बम आम लोगों के देखने के लिए रखे हुए हैं। ये सभी बम उस समय फटे ही नहीं थे। भारतीय सेना और यहां के लोग इसे देवी मां का ही चमत्कार मानते हैं।
माता के चमत्कार को देखकर पाकिस्तानी ब्रिगेडियर भी हुए नतमस्तक…
साल 1965 में हुए युद्ध के दौरान माता के चमत्कार को देखकर पाकिस्तान सेना भी घबरा गई। वहीं माता के चमत्कारों के आगे पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान भी नतमस्तक हो गए। युद्ध के बाद उन्होंने भारत सरकार से यहां दर्शन करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था। करीब 3 साल की जद्दोजहद के बार भारत सरकार से अनुमति मिलने पर ब्रिगेडियर शाहनवाज खान यहां आए। उन्होंने न केवल माताजी के दर्शन किए, बल्कि मंदिर में चांदी का एक छत्र भी चढ़ाया। आज भी वह छत्र मंदिर में है जो इस घटना का साक्षी है।