भीलवाड़ा। राजस्थान प्रदेश अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए देश के साथ-साथ पूरे विश्व में भी प्रसिद्ध है। राजस्थान की प्राचीन परंपराए अपने आप को खास बनाती है। राजस्थान में कई ऐसे समाज है जो अपनी प्राचीन परंपराओं को लेकर जाने जाते हैं। उन्हीं में से एक समाज है जो अच्छी बारिश को लेकर इंद्रदेव को मनाने के लिए पूजा पाठ करते हैं। भीलवाड़ा में कोली समाज पिछले 200 सालों से पीढ़ी दर पीढ़ी अच्छी बारिश के लिए इंद्रदेव की पूजा करते आ रहे है।
भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा में कोली मौहल्ला शिव मंदिर से कोली समाज की ओर से आषाढ पूनम पर इंद्र भगवान की पूजा करके बरसात के लिए प्रार्थना की गई। भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा निवासी व कोली समाज विकास संस्था के अध्यक्ष नरेश कुमार कोली ने बताया कि हमारा समाज प्रारंभ से ही पर्यावरण और खेती प्रिय समाज रहा है, और इसी को लेकर पिछले 200 सालों से पीढ़ी दर पीढ़ी हम बारिश के लिए भगवान इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए पूजा पाठ की परंपरा निभाते आ रहे हैं।
इस परंपरा को निभाने के लिए बुजुर्ग की नहीं बल्कि छोटे बच्चे भी शामिल होते हैं। नरेश कुमार कोली आगे बताते हैं कि इसके लिए हम शाहपुरा कस्बे के विभिन्न मंदिरों में जाकर भगवान इंद्र देव को रिझाने के लिए पूजा पाठ करते हैं। जिससे क्षेत्र में अच्छी बरसात हो और फसलें बढ़िया हो। इसके लिए हम गाजे बाजे के साथ शाहपुरा नगर में भगवान की जोत निकालते हैं। अंत में फूलिया गेट से सदर बाजार होते हुए पिवनिया तालाब भैरू नाथ के मंदिर पर पहुंचकर चावल की धूप लगाकर प्रसाद वितरित करते हैं। हम भगवान इंद्रदेव से यह कामना करते हैं कि इतनी बारिश हो कि यह तालाब लबालब भर जाए।
इस बार यह पूजा कोली मौहल्ला स्थित शिव मंदिर से शुरू हुई। इसके बाद गुड गली माता मंदिर पर धूप देखकर, सिर पर कलश लेकर कोली समाज के लोग इकट्ठा हुए। इसके बाद गाजे-बाजे के साथ भगवान की जोत लेकर नगर के विभिन्न मंदिरों में पूजा पाठ की। इस आयोजन में बड़े बूढ़े बच्चे सभी शामिल हुए। छोटे-छोटे बच्चे हाथों में झंडे लेकर कोली मोहल्ला से शहर के मुख्य मार्ग सदर बाजार बालाजी की छतरी होते फूलिया गेट पहुंचे।
वहां पर बरसात के लिए गोबर से लेप कर पानी का कलश भरकर भगवान इंद्रदेव को मनाने के लिए पूजा अर्चना की। इस पूजा-अर्चना से पूर्व विभिन्न मोहल्लों में स्थित शिव मंदिर बाबा रामदेव मंदिर ब्रह्माणी माता मंदिर देवनारायण मंदिर आईनाथ माता मंदिर में बरसात के लिए सभी देवी देवताओं को आमंत्रित कर फिर परंपरा के अनुसार पूजा पाठ किया गया।
(इनपुट-जयेश पारीक)