उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड () में दाउते इस्लामी का कनेक्शन सामने आने के बाद इसकी जांच तेज हो गई है। इसकी कड़ी में दाउते इस्लामी के यूपी में बसे कार्यालयों पर छापामार कार्रवाई शुरू हो गई है। यहां के कानपुर में बसे दाउते इस्लामी के कार्यालयों को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। अभी तक खबर थी की शहर में सिर्फ एक जगह ही इस संगठन का कार्यालय है। लेकिन जांच में यहां 3-4 जगह कार्यालय होने की खबर मिली है, यहां तक की स्कूलों की जमीन पर ये कार्यालय बगैर किसी रोक-टोक के संचालित हो रहे हैं। जिनकी जांच के बाद उन पर कार्रवाई की जा रही है।
शहर में कई जगह कार्यालय और मदरसे संचालित
अभी तक खबरों में आया था कि शहर के डिप्टी पड़ाव नामक जगह पर कट्टरपंथी संगठन दाउते इस्लामी का प्रमुख कार्यालय है। लेकिन जांच में सामने आया कि यह जाजमऊ स्थित एक मदरसा संगठन का मददगार है। यही नहीं कर्नलगंज के छोटे मियां का हाता में भी इस संगठन का कार्यलाय और मदरसा अभी भी संचालित हो रहा है, जबकि खबर थी कि कर्नलगंज से हटाकर डिप्टी पड़ाव में संगठन ने अपना कार्यालय स्थापित किया है।
स्कूल की जमीन पर कार्यालय, स्थानीय लोगों ने दी खबर
मियां का हाता में जिस जगह पर दाउते इस्लामी का कार्यालय है, स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह जमीन स्कूल के नाम की है। यहां कभी नगर निगम के स्कूल हुआ करते थे। छोटा मियां के हाता के निवासियों ने पुलिस को लिखित शिकायत में बताया कि इस जमीन पर लगभग 6 महीने पहले नगर निगम की देखरेख में बेसिक शिक्षा विभाग के दो प्राइमरी स्कूल संचालित होते थे। एक को नवीन प्राइमरी स्कूल बेकनगंज और दूसरा बेसिक प्राइमरी स्कूल के नाम से जाना जाता था। लोगों ने बताया कि बगैर किसी सूचना के दोनों स्कूल अचानक बंद हो गए। इसके सिर्फ 5 महीने बाद यहां 4 मंजिला इमारत तन गई। लोगों ने आरोप लगाया है कि बेसिक शिक्षा विभाग ने मिलीभगत कर यह जमीन बेच दी। इसमें उन्होंने कई नामजद लोगों को आरोपी बताया।
जमीन के मालिकाना हक के लिए नोटिस
इस मामले में ACP कर्नलगंज त्रिपुरारी पांडे का कहना है कि जमीन पर किसका मालिकाना हक है, इसकी जांच कि लिए केडीए, नगर निगम और बेसिक शिक्षा विभाग को नोटिस देकर जानकारी मांगी गई है, यह पता लगने के बाद कार्रवाई की जाएगी। वहीं पुलिस ने हाईकमान को इस कार्यालय और मदरसे की से जुड़ी तमाम जानकारी भेज दी हैं।
जमीन को लेकर चल रहा है 42 साल से मुकदमा
स्कूल की जमीन पर कट्टरपंथी संगठन दाउते-इस्लामी के कार्यालय और मदरसे को लेकर जांच जारी है। अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक इस जमीन को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग 42 सालों से मुकदमा लड़ रहा है। बेसिक शिक्षा अधिकारी बनाम मोहम्मद आरिफ के नाम यह मामला कानपुर कोर्ट में विचाराधीन है। साल 1980 से अब्दुल रशीद नाम का व्यक्ति इस जगह पर काबिज था। उसने अपने जीते जी इस जमीन को लेकर कोई बैनामा नहीं कराया।
सबसे बड़ा सवाल, आखिर स्कूल की जमीन पर कैसे खुला दाउते इस्लामी का कार्यालय ?
इन सभी जांचों के सामने आने के बाद यह पता लग जाता है कि दाउते इस्लामी ने अपनी पैठ कितनी गहरी जमाई हुई है। यहां सवाल यह उठता है कि आखिर जब स्कूल पहले से ही संचालित हो रहा था तो अचानक बंद करने के हालत कैसे पैदा है गए? यही नहीं बगैर किसी बिक्री या खरीद के कागज के यह जगह दाउते इस्लामी के हाथ कैसे चली गई ? वह भी तब जब इस जमीन के लिए बेसिक शिक्षा विभाग 42 साल से मुकदमा लड़ रहा है। हालांकि इस मामले की जांच शुरू हो गई है। जल्द ही इसमें बड़े खुलासे होने के कयास लगाए जा रहे हैं।