नई दिल्ली। नई संसद का उद्घाटन कौन करेगा इस पर बीते कुछ दिनों से बवाल मचा हुआ है। एक तरफ विपक्ष कहता है कि इस संसद के उद्घाटन का अधिकार राष्ट्रपति का होना चाहिए, तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस संसद का उद्घाटन करने वाले हैं। इसे लेकर कांग्रेस समेत 19 दलों ने इस उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है। लेकिन अभी भी केंद्र सरकार यही कह रही है कि हमने सभी दलों के नेताओं को बुलाया है इस कार्यक्रम में सभी को आना चाहिए।
किसका क्या है अधिकार ?
इस मामले की जड़ में जाएं तो इसका मूल कारण एक है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री में से किसका अधिकार इस संसद का उद्घाटन करने का है। विपक्षियों का कहना है कि राष्ट्रपति विधायिका का अध्यक्ष होता है इसलिए उसका अधिकार इस संसद के उद्घाटन का बनता है।
हमारे संविधान के पैराग्राफ 79 में राष्ट्रपति के अधिकारों के बारे में लिखा है। जिसमें कहा गया है कि देश में सिर्फ एक ही संसद भवन होगा। जिसमें दो सदन राज्यसभा, लोकसभा और राष्ट्रपति होंगे। राष्ट्रपति के पास संसद की लोकसभा को भंग करने, आहूत करने सत्रावसान करने का अधिकार देता है। इसके अलावा राज्यसभा में 12 सदस्यों को मनोनीत करना और लोकसभा में इंग्लोइंडियन को मनोनीत करने का अधिकार देश का संविधान देता है। जबकि संविधान में प्रधानमंत्री को सिर्फ कार्यपालिका का प्रमुख बताया गया है। इस हिसाब से संसद के उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों कराए जाने की मांग उठाई जा रही है।
शिलान्यास कार्यक्रम में भी राष्ट्रपति को नहीं दिया निमंत्रण
साल 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संसद का शिलान्यास किया था, जबकि उस वक्त के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद वहीं पर थे फिर भी उन्हें इसके लिए आमंत्रित नहीं किया गया। तब भी विपक्षियों ने इसे राष्ट्रपति कोविंद का अपमान बता दिया था और अब जब नई संसद के उद्घाटन में भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दरकिनार कर दिया गया, तब भी विपक्ष इसे राष्ट्रपति के अपमान बता रहा है।
क्या है नए और पुराने संसद भवन में अंतर
पुराना संसद भवन 47 हजार 500 वर्गमीटर में है, जबकि नई बिल्डिंग 64 हजार 500 वर्ग मीटर में बनाई गई है। पुराने से नया संसद भवन 17 हजार वर्ग मीटर बड़ा है। नया संसद भवन 4 मंजिला है। इसमें 3 दरवाजे हैं, इन्हें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार नाम दिया गया है। सांसदों और VIPs के लिए अलग एंट्री है। इस पर भूकंप का असर नहीं होगा। इसका डिजाइन HCP डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार किया है।
19 दलों ने किया बहिष्कार
19 विपक्षी दलों ने 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के लिए एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि जब लोकतंत्र की आत्मा को संसद से निकाल लिया गया है, तो हम नए भवन में कोई मूल्य नहीं पाते हैं। इन 19 दलों में जिसमें कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), TMC, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK),राष्ट्रीय जनता दल (RJD), जनता दल-यूनाइटेड (JDU), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), समाजवादी पार्टी, उद्धव ठाकरे की शिवसेना गुट, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, झारखंड मुक्ति मोर्चा, करेला कांग्रेस मनी, विदुथलाई चिरूथाइगल कच्छी, राष्ट्रीय लोक दल, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस और रेवॉल्युशनरी सोशलिस्ट पार्टी अन्य मरूमलारची द्रविड मुनेत्रद कडगम (MDMK) शामिल हैं। ये सभी पर्टियां 28 मई के कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगी।