जयपुर। राइट टू हेल्थ बिल (Right To Health) के विरोध में हड़ताल पर चल रहे डॉक्टर्स की समस्या का समाधान हो गया है। इस बिल को लेकर निजी डॉक्टर और सरकार में समझौता हो गया है। डॉक्टरों की सभी मांगे सरकार ने मान ली है। जिसके बाद डॉक्टर्स ने यह हड़ताल खत्म करने का ऐलान किया है।
इस समझौते के तहत राइट टू हेल्थ बिल का प्रावधान 50 बेड से कम प्राइवेट मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में अब नहीं लागू होगा। इसके अलावा राजस्थान के अस्पतालों में कोटा मॉडल लागू करने पर भी सहमति बनी है। इस समझौते में डॉक्टरों के मांगी गई मांगों के 8 बिंदुओं पर सहमति बनी है। इस समझौते को IMA यानी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) ने भी सहमति दे दी है।
Right To Health बिल पर इन मांगों पर बनी सहमति
1- प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले ही 50 बिस्तरों से कम वाले निजी मल्टी स्पेशियलिटी अस्पतालों को राइट टू हेल्थ बिल के प्रावधानों से बाहर कर दिया है।
2- सरकार से बिना किसी सुविधा के स्थापित सभी निजी चिकित्सालय और रियायती दर पर भवन को भी इस बिल के प्रावधानों से बाहर रखा जाएगा।
3- इसके बाद, अस्पतालों की इन श्रेणी में Right To Health बिल के अधिनियम के जरिए कवर की जाएगी-
a. निजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल
b.पीपीपी मोड पर बने अस्पताल
c.सरकार से निशुल्क या रियायती दरों पर उनके अनुबंध की शर्तों के मुताबिक जमीन लेने के बाद स्थापित अस्पताल (भूमि आवंटन नियम एवं शर्त के अनुसार)
d. वो अस्पताल जो ट्रस्ट से संचालित होते हैं (भूमि और भवन के रूप में सरकार द्वारा वित्त पोषित)
4- राजस्थान में कई जगह बने अस्पतालों को कोटा मॉडल पर नियमित करने पर विचार किया जाएगा।
5- आंदोलन के दौरान दर्ज पुलिस मामले और अन्य मामले वापस लिए जाएंगे।
6.- अस्पतालों के लिए लाइसेंस और अन्य स्वीकृतियों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम।
7- फायर एनओसी नवीनीकरण हर 5 साल में माना जाएगा।
8. नियमों में कोई और परिवर्तन, अगर होता है तो IMA यानी Indian Medical Association के दो प्रतिनिधियों के परामर्श के बाद किया जाएगा।