राजस्थान कांग्रेस में रविवार को कि कुछ घटा उसके लिए प्रदेश प्रभारी पार्टी महासचिव अजय माकन की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई है। यहां विधायकों में यही चर्चा है कि क्या माकन की सचिन पायलट के साथ कोई मिलीभगत थी? क्योंकि दिल्ली आलाकमान के आदेश से पहले ही पायलट गुट को सारी जानकारी मिल गई थी कि विधायक दल की बैठक कब होगी। उसमें क्या होगा। क्या प्रस्ताव होगा। उसके बाद आलाकमान सीएम घोषित करेगा। अगले दिन ही शपथ हो जाएगी। राज्यपाल के यहां मिलने का समय मांगा जाना फिर नहीं जाना। यही नहीं, विधायकों और मंत्रियों को संदेश दिया जाने लगा था कि तुम बने रहोगे, तुम्हें हटा दिया जाएगा आदि ऐसी कई बातें हुई, जिससे विधायक सहम गए। जैसे ही विधायक दल की बैठक की घोषणा हुई तो विधायक और सकते में आ गए।
अधिकांश विधायकों व मंत्रियों में भय का वातावरण घर कर गया। सब इस बात से आशंकित हैं कि अगर वाकई गहलोत हट गए तो उनके साथ ठीक व्यवहार नहीं होगा। कुछ को कॅरिअर ही खतरे में दिखनेलगा, क्योंकि यह संदेश फैला दिया गया कि आलकमान के कहने पर ही सब हो रहा है। इस बात को ताकत इसलिए मिली कि पायलट और उनका गुट पहले से ही बता रहा था कि बैठक कब होगी। इससे यही माना जाने लगा था कि वाकई आलाकमान बदलाव करने जा रहा है।
इसलिए शक के दायरे में
माकन शक के दायरे में माने जा रहे हैं कि बैठक की गोपनीय जानकारी उन्होंने ही तो नहीं दी। माकन भी शायद मान बैठे थे कि एक बार प्रस्ताव पारित हो गया तो विधायक नए सीएम का नाम घोषित होते ही गहलोत का साथ छोड़ देंगे, क्योंकि उन्होंने जब रविवार को जयपुर छोड़ा तो मुख्यमंत्री गहलोत से मिलना तक उचित नहीं समझा। पत्रकारों से यह कह कर और चले गए क्यों मिलूं? ऐसा लगा वे प्लान असफल होने से वह गुस्से में थे।
नहीं हो सकी चाल कामयाब
माकन की भूमिका पर सवाल उठने की दूसरी बड़ी वजह कि उन्होंने समय रहते दिल्ली को नहीं बताया कि विधायक क्या चाहते हैं। वे चाहते तो आलाकमान को बताते कि बहुमत गहलोत के साथ है, लेकिन वे यही कोशिश करते रहे कि किसी तरह से एक लाइन का प्रस्ताव पारित हो और वह अगले दिन नए सीएम का नाम घोषित कर तुरंत शपथ दिलवा दें। लेकिन, राजस्थान के विधायकों ने उनकी एक भी चाल कामयाब नही होने दी और नया इतिहास रच दिया।
यह भी पढ़ें: Rajasthan Politics : किसी कीमत पर सचिन पायलट सीएम बर्दाश्त नहीं- परसादी लाल मीणा का बड़ा बयान
गहलोत को मिला गांधी परिवार के करीबी सैम पित्रोदा का साथ
पार्टी के दिग्गज नेताओं व गांधी परिवार के करीबी सैम पित्रोदा का भी गहलोत के पक्ष में खड़ा होने से साफ हो गया कि गलत जानकारियों के सहारे राजस्थान को भी संकट में डालने की तैयारी थी। इससे पार्टी की छवि को बड़ा धक्का लगा ही, आलाकमान के साथ मुख्यमंत्री गहलोत की छवि को भी बिगाड़ने की कोशिश में देखा गया।