आपने सड़क पर कारों को सरपट दौड़ते हुए तो देखा ही होगा। कैसे पलक झपकते ही टॉप स्पीड पकड़कर हवा से बातें करने लगती हैं कारें। हवा से इन कारों की बात अब सच होने जा रही है। यह संभव हो पा रहा है फ्लाइंग कार के कांसेप्ट से। जो कारें पहियों पर चलती नजर आती हैं, वे हवा में उड़ती हुई भी नजर आएंगी।
किसी फैंटेसी फिल्म की कहानी-सी लगने वाली यह बात सच होने को है। ना रोड पर ट्रैफिक जाम का झंझट ना ही सड़क के गड्ढ़ों की चिंता, किसी हेलिकॉप्टर सरीखी उड़ान और मजेदार सफर। फ्लाइंग का यह कांसेप्ट अब फ्यूचर कार की तर्ज पर देखा जा रहा है। देश से लेकर दुनिया तक हर जगह प्रयोग युद्ध स्तर पर जारी हैं। भारत में भी इस स्वप्न के साकार होने की उम्मीद लगाई जा रही है।
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इलेक्ट्रिक पावर से होगी लैस
अगर बात करें भारत की, तो हमारे देश की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री काफी एडवांस होती जा रही है। टेक्नोलॉजी इतनी आगे बढ़ती जा रही है कि इंडस्ट्री ईंधन, सीएनजी, इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड के बाद अब हवा में उड़ने वाली गाड़ियों पर प्रयोग कर रही है। इस पर काम तेजी से चल रहा है और माना जा रहा है कि एशिया में भारत के पास सबसे पहली फ्लाइंग कार हो सकती है।
स्काईड्राइव नाम की एक कंपनी फ्लाइंग कार सरीखे वाहन बनाने के दिशा में काम कर रही है। स्काईड्राइव के अनुसार वह इलेक्ट्रिक पॉवर से लैस टू-सीटर फ्लाइंग कार बना रही है। कंपनी ने पिछले साल 2021 में अपने पहली फ्लाइंग कार का अनावरण भी किया था। हालांकि, ये कब देश में लॉन्च होगी कंपनी ने इस पर कोई भी आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
14 साल की मेहनत से बनी पहली थ्री-व्हीलर स्पोर्ट्स कार
अमेरिकी कंपनी सैमसन स्काई को दुनिया की पहली उड़ने वाली थ्री-व्हीलर स्पोट्र्स कार को उड़ान भरने के लिए मंजूरी दे गई है, हालांकि अभी ये इसकी टेस्टिंग उड़ान है। इस फ्लाइंग कार के पीछे 14 साल की मेहनत लगी है। इस स्विचब्लेड स्पोर्ट्स फ्लाइंग कार को अमेरिका की कंपनी सैमसन स्काई ने तैयार किया है। अमेरिकन विमानन प्राधिकरण फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन ने स्विचब्लेड की टेस्ट उड़ान को मंजूरी दे दी है।
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अगले कुछ समय में थ्री-व्हीलर स्पोर्ट्स कार परीक्षण की उड़ान भरने को तैयार होगी। माना जा रहा है कि इसकी टेक ऑफ स्पीड 88 मील प्रति घंटे तक होगी। स्विचब्लेड 13,000 फीट की ऊं चाई तक उड़ सकती है। इसकी सबसे अच्छी खासियत ये है कि लैंड होते ही यह तुरंत ड्राइविंग मोड में आ जाती है। कंपनी के सीईओ सैम बूसफील्ड के मुताबिक दुनिया के 52 देशों से अब तक 21 सौ से अधिक खरीददार इसकी बुकिंग करा चुके हैं।
चेन्नई में की जा रही है विकसित
एशिया की पहली हाइब्रिड फ्लाइंग कार चेन्नई स्थित विनाटा एरोमोबिलिटी द्वारा विकसित की जा रही है और 2023 तक पेश किया जा सकता है। इस समय जो प्रोटोटाइप तैयार किया गया है। कंपनी की ओर से इससे जुड़ा एक वीडियो जारी किया गया था। वीडियो में इस कार में बैठने की व्यवस्था की झलक दिखाई गई। इस उड़ने वाली कार में एक समय में दो लोग बैठ सकते हैं। कार के पंख जैसे दरवाजे सीधे खुलते हैं। कार के केबिन में एक बड़ा वर्टिकल डिजिटल टचस्क्रीन सिस्टम है जिसका इस्तेमाल अन्य चीजों के अलावा नेविगेशन के लिए किया जा सकता है।
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तीन मिनट में बन जाती है अजूबा
दो हवाई अड्डों की बीच पहली उड़ान भरने वाली फ्लाइंग कार को एयरकार नामक कंपनी ने बनाया है और इस कार ने गत 28 जून को स्लोवाकिया के दो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों नित्रा और ब्रातिस्लावा के बीच उड़ान भरी। दोनों एयरपोर्ट के बीच दूरी को पूरा करने में इस फ्लाइंग कार को मात्र 35 मिनट लगे। यही नहीं यह कार मात्र तीन मिनट के अंदर उड़ने वाले कार में बदल जाती है। इस कार में 160 हार्स पावर का बीएमडब्ल्यू का इंजन लगाया गया है। एक बार तेल भरने पर यह कार 8200 फुट की ऊं चाई पर करीब 1000 किमी तक उड़ान भर सकती है। इसमें एक फिक्स प्रोपेलर और पैराशूट लगा हुआ है। यह कार हवा में 170 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ सकती है। कंपनी इसकी स्पीड को 300 किमी प्रति घंटे तक बढ़ाने पर विचार कर रही है। इस कार ने अब तक 40 घंटे की उड़ान भरी है।
बिक्री से पहले ही स्टॉक खत्म
स्वीडन की इलेक्ट्रिक व्हीकल स्टार्टअप कंपनी जेटसन ने हाल ही में अपनी एयरक्राफ्ट यानी उड़ने वाली इलेक्ट्रिक कार ‘जेटसन वन’ की बिक्री शुरू की थी। अब कंपनी ने इस फ्लाइंग कार का पूरा स्टॉक खत्म हो गया है। कंपनी इसकी डिलीवरी अगले साल से करेगी। जेटसन के मुताबिक, इस इलेक्ट्रिक कार को उड़ाने के लिए पायलट लाइसेंस की जरूरत नहीं है। इसे कोई भी खरीद सकता है और आसानी से ऑपरेट भी कर सकता है। फिलहाल इस कार को अमेरिका में बेचा जा रहा है। इसकी कीमत 92,000 डॉलर (लगभग 73 लाख रुपए) रखी गई है। इस फ्लाइंग कार की डिमांड इतनी ज्यादा है कि 2023 तक की बुकिंग पूरी हो चुकी हैं। अब कंपनी 2024 के लिए बुकिं ग कर रही है।
जाम के झंझट से मुक्ति
फ्लाइंग कार का सबसे अहम फायदा माना जा रहा है जाम के झंझट से मुक्ति। लगातार बढ़ती आबादी और वाहनों की संख्या के कारण लोगों को अक्सर सड़कों पर जाम का सामना करना पड़ता है। फ्लाइंग कार आने के बाद उन्हें इस समस्या से मुक्ति मिलेगी।
दुनिया भर में जारी है परीक्षण
दुनिया भर में फ्लाइंग कारों को लेकर परीक्षण चल रहे हैं। कई देश कॉन्सेप्ट मॉडल से प्रोडक्शन मॉडल की तरफ रुख कर चुके हैं। अमेरिका और यूरोपीय देशों में अर्बन एयर मोबिलिटी के व्यावसायिक संचालन की तैयारियां चल रही हैं। बोइंग और एयरबस जैसे स्थापित खिलाड़ी फ्लाइंग टैक्सियों के लिए जापान से हाथ मिला चुके हैं।
जमाना है हाइब्रिड कार का
यह हाइब्रिड कार दिखने में किसी सामान्य कार के जैसी ही होती है। लेकिन इसमें दो इंजन का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें पेट्रोल या डीजल इंजन के साथ इलेक्ट्रिक मोटर भी होती है। इस टेक्नोलॉजी को हाइब्रिड कहा जाता है। अब ज्यादातर कंपनियां इसी तरह की कारों को बनाने पर काम कर रही हैं।
60 मिनट तक हवा में उड़ान
उड़ने वाली इस कार की सबसे खास बात यह है कि इसे भारत में बनाया जाएगा। इस कार के इस्तेमाल को और अधिक टिकाऊ बनाने के लिए इसमें बैटरी के साथ-साथ बायो-फ्यूल का उपयोग किया जाएगा। कार में एक बैकअप पावर भी होगा, जो पावर कट होने की स्थिति में मोटर को बिजली सप्लाई करेगा। यह कार को 120 किमी प्रति घंटे की टॉप स्पीड से 60 मिनट तक हवा में उड़ाया जा सकता है। यह जमीन से अधिकतम 3,000 फीट की ऊं चाई पर उड़ सकती है।
पॉड जैसी होगी कार
जानकारी के मुताबिक बिना यात्री के इस फ्लाइंग कार का वजन 990 किलोग्राम होगा और यह अधिकतम 1300 किलोग्राम वजन उठा सके गी। यह हाइब्रिड फ्लाइंग कार दिखने में एक पॉड जैसी है, जिसमें चार छोटे टायर लगे हैं। इनमें से हर टायर के साथ एक रोटर सिस्टम जुड़ा है। जिनमें से हर सिस्टम चार-चार ब्लेड के दो सेट से लैस है। दोनों साइड सिंगल डोर एंट्री है।
मौसम की जानकारी भी देगी
इस वर्टिकल टचस्क्रीन के ऊपर तीन हॉरिजंटल तरीके से रखी गई स्क्रीन हैं जो मौसम की जानकारी सहित अलग-अलग तरह के कार्यों और फं क्शन की जानकारी देंगी। इस फ्लाइंग कार का स्टीयरिंग व्हील एक योक की तरह है, जिसके सेंटर में कं पनी का लोगो दिया गया है। इसकी सीटें काफी आरामदायक दिखती हैं और काफी हाई क्वालिटी वाली सामग्री से बनी हैं। इसमें जीपीएस ट्कर, 300 रै डिग्री व्यू देने वाली पैनोरमिक विंडो भी मिलेगी। पेश किए गए कॉन्सेप्ट मॉडल के मुताबिक इसमें दो पैसेंजर उड़ पाएंगे।
इमरजेंसी सेवाओं में करेगी मदद
विनाटा एरोमोबिलिटी ने कु छ समय पूर्व देश के नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपनी फ्लाइंग कार का प्रोटोटाइप पेश किया था। उन्होंने इसके प्रयासों के लिए निर्माता की तारीफ की थी। यह कार साल 2023 तक एक हकीकत बन सकती है। इस कार का इस्तेमाल लोगों की आवाजाही के अलावा कार्गो के परिवहन के लिए किया जाएगा। यहां तक की इसकी मदद से मेडिकल इमरजेंसी सेवाएं भी प्रदान की जाएं गी।
कुछ खास बातें, जो आप जानना चाहेंगे…
– फ्लाइंग कार को बनाने की शुरुआत आज से करीब 100 साल पहले ही हो गई थी, साल 1917 में फ्लाइंग कार बनाने की पहली कोशिश की गई थी या फिर एक ऐसे एयर क्राफ्ट को बनाने की जो सड़क पर भी चल सके और अपनी इच्छानुसार आसमान में उड़ाया जा सके । इसे नाम दिया गया ऑटो प्लेन। यह प्रयास पूरी तरह सफल नहीं हुआ।
– साल 1933 में यूएस के एयर कॉमर्स ब्यूरो ने एक प्रतियोगिता रखी, जिसका नाम फ्लिवर कॉम्पिटिशन था। इन्होंने लोगों को चैलेंज किया कि कोई ऐसा एरोप्लेन का डिजाइन बनाकर दिखा दे, यहां एक गाड़ी की तरह दिखने वाला एरोप्लेन लाया गया था, जिसका नाम एरोबाइल था। यह प्रोजेक्ट फंडिंग की कमी के कारण फेल हो गया।
– साल 1945 जब अमेरिकन इन्वर्टर रॉबर्ट एडिशन फु ल्टोन ने एयर फेबियन नाम का एरोप्लेन बनाया जो दिखने में पूरा एरोप्लेन की तरह लगता था। इस एरोप्लेन को कार में बदलने में लगभग 5 मिनट का समय लगता था। ये ना तो एक अच्छा एरोप्लेन बन पाया ना ये अच्छी कार बन पाई।
– अक्टूबर 2021 में एक स्वीडिश कंपनी ने अपना एक जेसटन 1 एरोप्लेन बनाया जो एक बड़े साइज का ड्रोन जैसा था, जिसके अंदर एक आदमी बैठता है और उसे पायलट की तरह उड़ाता है। इस जहाज पर 2017 से काम करना शुरू किया गया था।