रात में सफेद चमकीले टिमटिमाते दाने खूबसूरती का अलग ही अहसास देते हैं। तारों की रोशनी अरबों किलोमीटर की दूरी तय करते हुए हम तक पहुंचती है। दरअसल, तारों के टिमटिमाने के पीछे की असली वजह हमारा वायुमडंल है जो नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और अन्य गैसों का मिश्रण बन हमारी रक्षा करता है। रात को इसी की वजह से कई खगोलीय पिंड हमें धुंधले और कभी कभी दिखते हैं। इस परिघटना को खगोलीय जगमगाहट कहते हैं और आम बोलचाल में इसे तारों का टिमटिमाना कहते हैं।
दो परतें डालती हैं रोशनी पर प्रभाव
वायुमंडल के कुछ हिस्सों को उनके विशेष गुणों के कारण अलग परत नाम दिए गए हैं, जिनमें ओजोन परत और आयनमंडल भी शामिल हैं। ओजोन परत क्षोभमंडल के ठीक ऊपर समतापमंडल के निचले हिस्से में हैं, वहीं आयनमंडल मध्यमंडल और तापमंडल के बीच स्थित है जो अंतरिक्ष से आने वाली रोशनी पर अपना भी प्रभाव डालता है।
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ऐसे टिमटिमाते दिखती है रोशनी
इन सभी परतों का तापमान और हवा का घनत्व अलग-अलग होता है। जब तारों की रोशनी वायुमडंल में प्रवेश करती है तो उसे गर्म और ठंडी हवा की परतों से गुजरना होता है और ये परतें एक बड़े मोटे लेंस की तरह काम करती हैं, जिससे प्रकाश के परावर्तन की प्रक्रिया होती है और रोशनी की दिशा विकृत हो जाती है। ये परतें गतिमान लेंस की तरह काम करती हैं, जिससे तारों की रोशनी टिमटिमाती सी दिखाई देती है।