कोटा। कोटा के महाराव भीमसिंह अस्पताल से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक वकील अस्पताल की तीसरी मंजिल पर स्थित हड्डी रोग वार्ड में ई-स्कूटर लेकर पहुंच गया। यह अनोखा मामला अब चर्चा का विषय बना हुआ है। सोशल मीडिया पर भी एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। जिसमें साफ दिख रहा है कि एक युवक अपने बच्चे को साथ लेकर अस्पताल के अंदर दाखिल हुआ और फिर स्कूटर को लिफ्ट में रखकर अस्पताल की चौथी मंजिल पर पहुंच गया। हालांकि, जाते वक्त तो युवक को किसी ने नहीं टोका। लेकिन, वापस आते वक्त स्टॉफ ने टोका तो जमकर हंगामा देखने को मिला। ऐसे में मौके पर पहुंची पुलिस ने मामला शांत कराया। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि युवक स्कूटर को तीसरी मंजिल पर ले जाने को मजबूर हो गया।
दरअसल, हुआ यूं कि गुरुवार दोपहर वकील मनोज जैन अपने 15 वर्षीय बेटे के साथ ई-स्कूटर से एमबीएस अस्पताल पहुंचा। उसके बेटे के पैर में फ्रैक्चर था और वो बेटे के उपचार के लिए यहां आया था। अस्पताल में वकील ने कर्मचारी मुकेश और सुखलाल से व्हीलचेयर मांगी, लेकिन दोनों ने कहा कि यह नहीं है। इसके बाद वो अस्पताल की तीसरी मंजिल पर स्थित हड्डी रोग वार्ड में ई-स्कूटर से ही अपने बेटे को ले गया। लौटते समय पिता और बेटे को वार्ड प्रभारी देवकीनंदन ने रोक लिया और स्कूटर की चाबी ले ली। इसके बाद वकील भड़क गया और हंगामा शुरू कर दिया। सूचना मिलते ही थाना पुलिस मौके पर पहुंची और मामला शांत कराया।
वकील का आरोप है कि अस्पताल में सुविधाओं का अभाव है और व्हीलचेयर तक नहीं है। जब वह अपने बेटे को लेकर अस्पताल पहुंचा तो व्हीलचेयर मांगी। लेकिन, स्टाफ ने मना कर दिया। इसके बाद स्टाफ कर्मियों से स्कूटर तीसरी मंजिल पर ले जाने की परमिशन ली, क्योंकि मेरे बेटे के पैर में फ्रैक्चर है और वो चल नहीं पा रहा था। बेटे का वजन ज्यादा होने के कारण उसे गोद में भी नहीं उठा सकता था। स्टाफ की परमिशन के बाद ही मैं स्कूटर से बेटे को लेकर डॉक्टर को दिखाने गया था। लेकिन, वापस आते वक्त अस्पताल स्टाफ ने ही रोक लिया और मेरे साथ बदसलूकी की।
अस्पताल प्रशासन ने भी माना, व्हीलचेयर की कमी
प्रशासन ने भी माना कि अस्पताल के अंदर व्हीलचेयर की कमी है। मामला सामने आने के बाद अस्पताल के उपाधीक्षक कर्णेश गोयल ने कहा कि सरकार से व्हीलचेयर की आपूर्ति का इंतजार है। उन्होंने लोगों से व्हीलचेयर खरीदने के लिए चंदा देने की अपील की। उन्होंने कहा कि अस्पताल स्टॉफ ने बाहर तक स्कूटी लाने के लिए कहा था. ऊपर तक ले जाने के लिए नहीं कहा था। स्कूटर ले जाना गलत है। अस्पताल में स्कूटर लाने की परमिशन नहीं है। ऐसे तो हर कोई मरीज अस्पताल के अंदर अपने वाहन लेकर आ जाएगा। इस मामले की जांच जारी है।