Udaipur Murder Case : उदयपुर के दर्जी कन्हैयालाल हत्याकांड का वारदात को ढाई महीने से भी ज्यादा हो गया है। हत्या के आरोपी तो पकड़ लिए गए हैं। लेकिन आरोपियों को अभी कोई कड़ी सजा नहीं सुनाई गई है। वे अभी जेल में ही बंद हैं। इन ढाई महीने से कन्हैया के दोनों बेटे अपने पिता को न्याय मिलने का इंतजार कर रहे हैं। पिता की चिता को अग्नि देते वक्त ही प्रण ले लिया था कि अब वे नंगे पैर ही रहेंगे, उन्होंने कहा है कि जब तक उसके पिता के हत्यारों को फांसी की सजा नहीं होगी तब तक वे नंगे पैर रहेंगे, जूते-चप्पल कुछ नहीं पहनेंगे।
यश का कहना है कि अब वह आरोपियों की मौत की सजा को सुनकर ही दोबारा चप्पल-जूते पहनेगा। गौरतलब है कि कन्हैया के दोनों बेटों को गहलोत सरकार ने सरकारी नौकरी दी है। दोनों बेटे यश और तरुण जिला कोषागार में कनिष्ठ सहायक पदों पर तैनात हैं। गहलोत सरकार ने इस नौकरी के नियमों में शिथिलता कर इसमें बदलाव किया जिसके बाद दोनों बेटों को नियुक्ति मिली।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने चीख-चीख कर बताई क्रूरता
यह हत्याकांड कितना जघन्य और विभत्स था इसकी गवाही कन्हैयालाल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने दी थी। इसमें कई रोंगटे खड़े करने वाली चीजें सामने आई थीं। रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि कन्हैया को किस बेहरमी से मौत के घाट उतारा गया था। रिपोर्ट में कन्हैया के शरीर पर वार के 26 निशान इसकी गवाही दे रहे थे। इसके साथ ही गले पर गहरे 10 घाव यह चीख-चीख कर बता रहे थे कि हत्या के आरोपियों ने किस कदर कन्हैया पर अपना गुस्सा निकाला है।
वकीलों ने आरोपियों का केस तक लेने से मना किया
इस क्रूरता के खिलाफ पूरे देश में गुस्सा फैल गया था। यहां तक कि कोई भी वकील इन आरोपियों का केस लेने के लिए राजी नहीं हुआ। गौस और रियाज की पहली बार जयपुर की NIA कोर्ट में पेशी थी तब सारे वकील कोर्ट परिसर में इकट्ठे हो गए थे। पुलिस के गौस-रियाज को लाते समय वकीलों ने उन्हें घेर लिया और आरोपियों को जमकर पीटा। वकील उन दोनों को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे। सभी वकीलों ने पानी से भरी बोतलें आरोपियों पर फेंकी। बमुश्किल पुलिस ने आरोपियों को वकीलों से छुड़ाया था। इस मारपीट में एक आरोपी गौस के पैर में गंभीर चोट आई थी। इस बात का दावा खुद गौस ने NIA कोर्ट के सामने अगली पेशी में किया था।
कट्टरपंथी संगठन दाउते-इस्लामी से जुड़े हैं आरोपी
उदयपुर हत्याकांड के आरोपियों की मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन दाउत-ए-इस्लामी से संबंध सामने आने के बाद इस संगठन की जांच शुरू हो गई है। जिसमें सामने आया है कि दाउत-ए-इस्लामी ने 1990के दशक में दाउत-ए-इस्लामी ने देश में कदम रखा था। इसकी शुरूआत कानपुर, अहमदाबाद और मुंबई से हुई थी। कानपुर के हलीम कॉलेज में साल 1994 में इस संगठन ने अपनी शाखा की नींव रखी थी। इसके लिए 3 दिन का सेमिनार आयोजित किया गया था। इस सेमिनार में संगठन का मुखिया मौलाना इलियास अत्तार कादरी भी आया था। इसी दिन से इसने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए। साल 2000 में नारामऊ में भी एक सेमिनार किया गया था।
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